पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल वाक्य
उच्चारण: [ pendit raamepresaad bisemil ]
उदाहरण वाक्य
- वर्ष १९८५ में विज्ञान भवन नई दिल्ली में आयोजित भारत और विश्व साहित्य पर अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में एक भारतीय प्रतिनिधि [19] ने अपने लेख के साथ पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल की कुछ लोकप्रिय कविताओं का द्विभाषिक काव्य रूपान्तर (हिन्दी-अंग्रेजी) में प्रस्तुत किया था जिसे उनकी पुस्तकों[20] से साभार उद्धृत करके यहाँ इसलिये दिया जा रहा है ताकि हिन्दी के पाठक भी उन रचनाओं का आनन्द ले सकें।
- पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल ने इलाहाबाद में शचीन्द्र नाथ सान्याल के घर पर पार्टी का प्रारूप बनाया और इस प्रकार मिलकर आइरिश रिपब्लिकन आर्मी की तर्ज़ पर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन आर्मी (एचआरए) का गठन हुया जिसकी प्रथम कार्यकारिणी सभा 3 अक्तूबर 1924 को कानपुर में हुई जिसमें “बिस्मिल” के नेतृत्व में शचीन्द्र नाथ सान्याल, योगेन्द्र शुक्ल, योगेश चन्द्र चटर्जी, ठाकुर रोशन सिंह तथा राजेन्द्र सिंह लाहिड़ी आदि कई प्रमुख सदस्य शामिल हुए।
- वर्ष १ ९ ८ ५ में विज्ञान भवन नई दिल्ली में आयोजित भारत और विश्व साहित्य पर अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में एक भारतीय प्रतिनिधि ने अपने लेख के साथ पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल की कुछ लोकप्रिय कविताओं का द्विभाषिक काव्य रूपान्तर (हिन्दी-अंग्रेजी) में प्रस्तुत किया था जिसे अंग्रेजी विकिपीडिया से उद्धृत करके यहाँ साभार इसलिये दिया जा रहा है ताकि हिन्दी के पाठक भी उन रचनाओं का आनन्द ले सकें।
- असहयोग आंदोलन के दौरान जब फरवरी 1922 में चौरि-चौरा की घटना के पश्चात् बिना किसे से पूछे गाँधी जी ने आन्दोलन वापस ले लिया तो देश के तमाम नवयुवकों की तरह आज़ाद का भी काँग्रेस से मोह भंग हो गया और पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल, शचीन्द्रनाथ सान्याल, योगेशचन्द्र चटर्जी ने 1924 में उत्तर भारत के क्रान्तिकारियों को लेकर एक दल हिन्दुस्तानी प्रजातान्त्रिक संघ (एच ० आर ० ए ०) का गठन किया।
- पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल ने इलाहाबाद में शचीन्द्र नाथ सान्याल के घर पर पार्टी का प्रारूप बनाया और इस प्रकार मिलकर आइरिश रिपब्लिकन आर्मी की तर्ज़ पर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन आर्मी (एचआरए) का गठन हुया जिसकी प्रथम कार्यकारिणी सभा 3 अक्तूबर 1924 को कानपुर में हुई जिसमें “ बिस्मिल ” के नेतृत्व में शचीन्द्र नाथ सान्याल, योगेन्द्र शुक्ल, योगेश चन्द्र चटर्जी, ठाकुर रोशन सिंह तथा राजेन्द्र सिंह लाहिड़ी आदि कई प्रमुख सदस्य शामिल हुए।
- जिन लोगों ने इस जिले का नाम पूरे विश्व में चमकाया उनमें बीसवीं सदी के महान क्रान्तिकारी पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल, उनके प्रमुख सहयोगी व एक साथ फाँसी पर झूलने वाले अशफाक उल्ला खाँ व ठाकुर रोशन सिंह तो हैं ही,सन् १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के प्रमुख पुरोधा मौलवी अहमद उल्ला शाह का नाम भी इतिहास में दर्ज़ है जिनका सिर काटकर शहर के बीचो-बीच कोतवाली पर बहुत ऊँचाई पर इसलिये टाँग दिया गया था ताकि कोई बगावत करने की हिम्मत न कर सके।
- जिन लोगों ने इस जिले का नाम पूरे विश्व में चमकाया उनमें बीसवीं सदी के महान क्रान्तिकारी पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल, उनके प्रमुख सहयोगी व एक साथ फाँसी पर झूलने वाले अशफाक उल्ला खाँ व ठाकुर रोशन सिंह तो हैं ही,सन् १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के प्रमुख पुरोधा मौलवी अहमद उल्ला शाह[11] का नाम भी इतिहास में दर्ज़ है जिनका सिर काटकर शहर के बीचो-बीच कोतवाली पर बहुत ऊँचाई पर इसलिये टाँग दिया गया था ताकि कोई बगावत करने की हिम्मत न कर सके।
- जिन लोगों ने इस जिले का नाम पूरे विश्व में चमकाया उनमें बीसवीं सदी के महान क्रान्तिकारी पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल, उनके प्रमुख सहयोगी व एक साथ फाँसी पर झूलने वाले अशफाक उल्ला खाँ व ठाकुर रोशन सिंह तो हैं ही, सन् १ ८ ५ ७ के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के प्रमुख पुरोधा मौलवी अहमद उल्ला शाह [11] का नाम भी इतिहास में दर्ज़ है जिनका सिर काटकर शहर के बीचो-बीच कोतवाली पर बहुत ऊँचाई पर इसलिये टाँग दिया गया था ताकि कोई बगावत करने की हिम्मत न कर सके।