पेगन वाक्य
उच्चारण: [ pan ]
उदाहरण वाक्य
- यक्तिक / वैयक्तिक, सार्वजनिक/निजी, कॉमेडी/ट्रैजिडी जैसे विरोधपरक युग्मों से निर्मित हैं, जिनमें से हर युग्म के प्रथम पद को परम्परा के और द्वितीय पद को अपनी आधुनिकता के खातों में डाल रखा गया है-बिना इस बात को पहचाने कि भारत की परम्परा का पेगन रूप इस तरह के युग्मों के बीच अनिवार्य विरोध के लिए बमुश्किल ही कोई गुंजाइश देता है;
- ' गीत और ब्रह्मविचार में अन् तर की यह चेतावनी केवल कबीर ने ही नहीं अश् वघोष ने भी दी है, लेकिन भगवत् पाद या कालिदास ने नहीं दी, और यहीं उस मानसिकता का, जिसे मैं ' पेगन मानसिकता ' कहता हूं, और उस मानसिकता का, जिसे मैं ' डि-पेगनाइजेशन की मानसिकता ' कहता हूं किन् तु जिसका प्रचलित नाम ' दूसरी परम् परा ' है, अन् तर मौजूद है ।
- हालाँकि मैं यहाँ यह जोड़ देना जरूरी समझता हूँ कि भारतीय पाठ-परम्परा में इस प्रत्यय की न केवल ऐसी कोई विशिष्ट हैसियत नहीं रही कि बाद में इस पर सवाल उठाने की ज़रूरत पड़ती बल्कि लगभग हर पाठ अपने को किसी अन्य पाठ की टीका के रूप में ही घोषित करता रहा है-किसी तरह की विनम्रता के आग्रह से नहीं बल्कि इस पेगन प्रज्ञा (जो कि उत्तर-सरंचनावादी प्रतीत हो सकती है) के चलते कि ‘मूल' या उद्गम किसी एक देशकाल से बंधा हुआ नहीं है, बल्कि वह अंतहीन (तैंतीस करोड़, जैसा परम्परा कहेगी)