पोल पोट वाक्य
उच्चारण: [ pol pot ]
उदाहरण वाक्य
- कंबोडिया का उदाहरण लें, जहां एक तरह की लोकतांत्रिक सत्ता चलाने वाले लोगों में से आधे लोग वे हैं जो पोल पोट के साथ काम किया करते थे।
- इतिहास की पाठ्य पुस्तकों में प्राचीन ख्मेर रुज साम्राज्य की कहानी तो विस्तार से कही गयी है लेकिन पोल पोट के आतंक की कहानी को महत्व नहीं दिया गया.
- रूस के स्टालिन, चीन के माओ, रोमानिया के चेसेस्कू और कंपूचिया के पोल पोट के आगे दिग्विजयसिंह, जयराम जैसे समझदार या तो मरे या जेल में सड़े।
- मगर लेनिन-स्तालिन का रूस, माओ का चीन, पोल पोट का कंबोडिया, चौसेस्कू का रोमानिया, होनेकर का जर्मनी, आदि अपने यौवन में चिड़ियाखाने से कम नहीं थे।
- मोदी की तुलना हिटलर व पोल पोट से कर उन्हें लोकतांत्रिक व्यवस्था का विध्वंसक बताने की होड़ इस बात का संकेत है कि सभी मोदी को सबसे बड़ी चुनौती मान रहे हैं।
- १ ९ ८ ४ में इस गाँधी आतंकवाद ने सरे आम वो भी देश की राजधानी में ५ ००० सिख बहेनो और भाइओ को कत्ले आम किया जैसे कम्बोडिया में पोल पोट ने किया था.
- गोवा से राज्यसभा सांसद नाइक ने शुक्रवार को कहा कि भारत हिटलर और कंबोडिया के तानाशाह पोल पोट जैसे शासकों को देश में फलने-फूलने और सामाजिक एवं लोकतांत्रिक ताने-बाने को तहसनहस करने की अनुमति नहीं दे सकता है।
- पोल पोट के नेतृत्व में न केवल देश की राजधानी नोम पेन्ह खली कराई गयी बल्कि शिक्षक से लेकर डॉक्टर तक देश के पढ़े लिखे लोगों की पूरी आबादी को सिलसिलेवार ढंग से मौत के घाट उतारने का कार्यक्रम १९७५ से ले कर १९७९ तक चलता रहा.
- ज्यादा पहले जाने की जरूरत नहीं है, हिटलर, मुसोलिनी, ईदी अमीन, पोल पोट, स्टालिन जैसे अनेक नाम हैं जिन्होंने ईश्वर की इच्छा को पूरा करने के लिए यातनाओं के नए कीर्तिमान स्थापित किए और अपने ही जैसे दूसरे इंसानों कत्ल करने के लिए कैम्प स्थापित किए, भारी संख्या में लोगों को नियुक्त किया और फिर जबरदस्त तरीके से ईश्वर की इच्छा को पूरा किया।
- जनता के हितैषी बनाने का दावा करने वाले एक तरफ तो बहुसंख्यक जनता की आस्था को फ़ुटबाल की तरह लतियाने का कोई मौक़ा नहीं चूकते वहीं मार्क्स आदि के प्रति अपनी बुतपरस्ती के प्रति हद से ज़्यादा संवेदनशील हो जाते हैं | देखना चाहिए कि “ राम की चड्ढी ” की जगह “ मार्क्स की दाढी में तिनका ”, “ माओ की लंगोटी में दाग ”, “ कास्त्रो का आँचल मैला ” या “ कलयुग का शिखंडी पोल पोट ” जैसे नुक्कड़ नाटकों को साम्यवादी कितने प्रेम से स्वीकार करते हैं.