बौद्ध जातक वाक्य
उच्चारण: [ baudedh jaatek ]
उदाहरण वाक्य
- बौद्ध धर्म के प्रचार में कला की न केवल एक महत् वपूर्ण भूमिका रही है, साथ ही कला विकास में बौद्ध जातक कथाओं, साहित्यिक कृतियों और अवधारणाओं का अपना महत् व रहा है।
- इतिहास के इस काल की जानकारी बौद्ध ग्रंथों, जैसे-बौद्ध जातक, दिव्यावदान, ललितविस्तर, मंजूश्रीमूलकल्प, मिलिन्दपन्ह, गार्गी संहिता, मालविकाग्निमित्रम् एवं कुछ अभिलेखों, सिक्कों तथा पुरातात्विक खोजों द्वारा प्राप्त होती हैं।
- इसमें पंचतंत्र का टेक्सचर, बौद्ध जातक कथाओं का स्ट्रक्चर, कविता का तिर्या, संस्कृत श्लोकों की अन्वित अभिव्यक्ति, महाकाव्य का विवेक, लोकगीतों की लय, स्थापत्य कला का रेफरेंशियल मूड, पेंटिग्स का पिक्टोरियल-सब चाहिए।
- “संपूर्ण ग्रीक परंपरा में, जहां तक मैं देख सकता हूं, एक भी दंतकथा नहीं है जिसके बारे में यह कहा जा सके कि वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय स्रोत से आई हो, लेकिन कई दंतकथाएं या दंतकथा-रूपांकन जो पहले यूनान या निकट पूर्वी साहित्य में प्रकट हुए और बाद में पंचतंत्र और बौद्ध जातक सहित अन्य भारतीय दंतकथा-पुस्तकों में पाए गए थे”.
- पेरी ने अपनी पुस्तक बेब्रियस और फीड्रस में चरम स्थिति अपनाई है कि: "संपूर्ण ग्रीक परंपरा में, जहां तक मैं देख सकता हूं, एक भी दंतकथा नहीं है जिसके बारे में यह कहा जा सके कि वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय स्रोत से आई हो, लेकिन कई दंतकथाएं या दंतकथा-रूपांकन जो पहले यूनान या निकट पूर्वी साहित्य में प्रकट हुए और बाद में पंचतंत्र और बौद्ध जातक सहित अन्य भारतीय दंतकथा-पुस्तकों में पाए गए थे”.