ब्राह्मी स्थिति वाक्य
उच्चारण: [ beraahemi sethiti ]
उदाहरण वाक्य
- शिष्य उस ब्राह्मी स्थिति में उपनीत हो गया है जहाँ प्रतिष्ठित होने से श्रुति कहती हैः
- अकर्म में व्यक्ति ब्राह्मी स्थिति में पहुँच सकता है, अतः इसे समझना बहुत जरूरी है।
- ब्राह्मी स्थिति में निर्वाण-मोक्ष की प्राप्ति ही हमारा लक्ष्य हो, यह श्रीकृष्ण चाहते हैं।
- ईस अध्याय के अंतिम श्लोक में लिखा है-एशा ब्राह्मी स्थिति पार्थ! नैनां प्राप्य विमुह्यति,
- वस्तु स्थिति की दृष्टि से इस स्तर का साधक ब्रह्मभूत होता है, ब्राह्मी स्थिति में रहता है ।
- वस्तु स्थिति की दृष्टि से इस स्तर का साधक ब्रह्मभूत होता है, ब्राह्मी स्थिति में रहता है ।
- ” वत्स! तुमने इस समय ब्राह्मी स्थिति प्राप्त कर ली है और योगविद्या में तुम सिद्ध हो गये हो।
- आत्म-साक्षात्कार, आत्मज्ञान, ब्राह्मी स्थिति (साक्षात्कार के बाद की स्थिति) तत्व ज्ञान, ब्रह्म-ज्ञान सभी समानार्थी है
- कर्म करते करते अकर्म को प्राप्त हो जाना-ब्रह्म को प्राप्त हो जाना-ब्राह्मी स्थिति में पहुँच जाना कर्म समाधि है।
- ब्राह्मी स्थिति की यह झलक हम कबीर, एकनाथ, रैदास, मीरा, रामकृष्ण, एवं स्वयं पूज्यवर में देखते हैं।