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भगवान स्वामिनारायण वाक्य

उच्चारण: [ bhegavaan sevaaminaaraayen ]

उदाहरण वाक्य

  1. तत्कालीन समाज में अनेक संघर्षों का सामना करते हुए भगवान स्वामिनारायण ने पीढ़ियों से नर्क जैसी परिस्थितियों में जीवन बिता रही निम्न सामान्य प्रजा में आचार और विचार शुद्धि करके उनके व्यक्तित्व को उन्नत किया।
  2. महात्मा गांधी, सयाजीराव गायकवाड, दुर्गाराम महेता, मणिशंकर रत्नाजी, ज्योतिराव फूले और बी आर शिंदे तथा र्डा बाबा साहब आम्बेडकर के आगमन के कई साल पहले भगवान स्वामिनारायण ने दलितों के उद्धार का कार्य प्रारंभ कर दिया था।
  3. गुजरात का राजकीय एवं सांस्कृतिक इतिहास भगवान स्वामिनारायण द्वारा की गयी दलितों की उत्क्रांति की प्रक्रिया को उल्लेखित करते हुए शब्दांकित करता है-‘‘ निम्न जातियों में संस्कार एवं मूल्य सिंचन का जो कार्य भगवान स्वामिनारायण ने किया वह अद्वितीय है।
  4. गुजरात का राजकीय एवं सांस्कृतिक इतिहास भगवान स्वामिनारायण द्वारा की गयी दलितों की उत्क्रांति की प्रक्रिया को उल्लेखित करते हुए शब्दांकित करता है-‘‘ निम्न जातियों में संस्कार एवं मूल्य सिंचन का जो कार्य भगवान स्वामिनारायण ने किया वह अद्वितीय है।
  5. भगवान स्वामिनारायण द्वारा लोगों के जीवन में आये हुए नैतिक उत्थान को देखकर हिबर ने लिखा है-‘‘ उन्होंने (भगवान स्वामिनारायण) अपने शिष्यों को नजदीक से निकल रही किसी भी स्त्री की ओर न देखने की बात कहकर शुद्धता का चरम-बोध दिया था।
  6. भगवान स्वामिनारायण द्वारा लोगों के जीवन में आये हुए नैतिक उत्थान को देखकर हिबर ने लिखा है-‘‘ उन्होंने (भगवान स्वामिनारायण) अपने शिष्यों को नजदीक से निकल रही किसी भी स्त्री की ओर न देखने की बात कहकर शुद्धता का चरम-बोध दिया था।
  7. श्रीहरि के विचार थे-“ जन्म से निम्न हो उसे कर्म से क्यों श्रेष्ठ नहीं बनाया जा सकता? ” संस्कार द्वारा श्रेष्ठ वर्ण में पहुँचने की प्राचीन परंपरा जो भारतीय मध्यकालीन समय में विलुप्त हो चुकी थी उसे भगवान स्वामिनारायण ने अपनाकर अपने समय में एक नयी वैचारिक क्रांति की।
  8. जिस समय ‘ यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ' जैसे नारी के सम्माननीय वचन पुस्तक में रह गये थे और सती प्रथा और निर्दोष बालाओं को दूध में डूबोकर मार डालने की कुप्रथा ने स्त्रियों की अवदशा में कुछ शेष नहीं रहने दिया था, उस समय भगवान स्वामिनारायण ने प्रशंसनीय कार्य किया।
  9. एशियाटिक जर्नल ' में भगवान स्वामिनारायण द्वारा किये गये आमूल परिवर्तनों को इन शब्दों में रेखांकित किया गया है-‘‘ उनके पूरे जीवन काल में उनके विस्तार में सबसे कुशाग्र लोग होते हुए भी उन्हें (अंग्रेजों के धर्म प्रचारकों को) भी उनके (भगवान स्वामिनारायण के) जाति समतुलन की व्यवस्था से आश्चर्य होता था और वे मानते है कि उनके उपदेश लोगों के मूल्य परिवर्तन विषयक विचारों में जबरदस्त असर पैदा कर रहे हैं।
  10. एशियाटिक जर्नल ' में भगवान स्वामिनारायण द्वारा किये गये आमूल परिवर्तनों को इन शब्दों में रेखांकित किया गया है-‘‘ उनके पूरे जीवन काल में उनके विस्तार में सबसे कुशाग्र लोग होते हुए भी उन्हें (अंग्रेजों के धर्म प्रचारकों को) भी उनके (भगवान स्वामिनारायण के) जाति समतुलन की व्यवस्था से आश्चर्य होता था और वे मानते है कि उनके उपदेश लोगों के मूल्य परिवर्तन विषयक विचारों में जबरदस्त असर पैदा कर रहे हैं।
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