भाई ठाकुर वाक्य
उच्चारण: [ bhaae thaakur ]
उदाहरण वाक्य
- भाई ठाकुर ये सब हमरे नेता से प्रेरित है कोई भी नेता को जब भी जेल मई डाला जाता है तो उसका पहला ऑप्षन ख्या होता है ये तो सब को पता हैयब सेम ऑप्षन हमारे क्रिकेटर ने भी अपना लिया है तो ख्या ग़लत किया हमारा क़ानून भी मेडिकल कंडीशन को पहली प्राइयारिटी देता है.
- ऐसे कई टाडा वासियों को सरकार की इसी इन्वेस्टिगेटिंग एजन्सी ने बचाया है-कभी अपनी जेन्युइन अकार्यक्षमता के कारण तो कभी अकार्यक्षमता की आड में गॅरंटी से कह पायेगा कि भाई ठाकुर पुलिस की अकार्यक्षमता के कारण टाडा से बच निकला या कुर्सी के इशारों पर? जब ऐसा संदेह उत्पन्न होता है तो हम वही ऑप्शन अपनाते हैं जहाँ अपने अधिकारी को बलि चढाना संभव है ताकि कुर्सी बच जाय।..............................................................
- जरा गौर करें नत्था जब सबसे पहली बार गाँव के नेता से आर्थिक मदद मांगने जाता है तो उस नेता का नाम भाई ठाकुर होता है ये नाम कुछ और भी हो सकता था पर यह एक बानगी मात्र है कि फिल्मों से लेकर समाज तक जातीय वर्चस्व कितना गहरे बैठा हुआ है और हमारी फ़िल्में मीडिया की कल्टीवेशन थ्योरी के अनुरूप किस तरह का सन्देश बार बार हमारे मस्तिष्क में ठूंस रही हैं.
- यह जानकर भी, और अपने आपको बुद्धिधारी कहलाते हुए भी जब हम खैरनार से सबूत जुटाने की माँग करते हैं तो हम किसे धोखा दे रहे हैं, किससे धोखा खा रहे हैं और किस कीमत पर? क्या हम भूल गये कि जब भाई ठाकुर को कलकत्ता एअर पोर्ट पर पुलिस ने गिरफ्तार किया तो मुंबई पोलिस के बडे अधिकारियों ने यह कहकर उसे छुडवा दिया और नेपाल जाने दिया कि उसके विरूद्ध कोई केस नही है।
- अभी जब वह पिछले रविवार को आये तो बोले--” भाई ठाकुर हमने तो सुना था की बीरबल ने अकबर के दरबार में यह स्थापित किया था की बारात तीन मन की होती है यहाँ तो शिवजी जी गणों की बारात तो चार मन की हो गई है ” हम बोले-” यार मुंशी ये पहेलियाँ सी क्या बुझा रहें हो कुछ साफ़ साफ़ कहो की क्या बात है और तुम्हारे मन में क्या पाक रहा है?
- परिवार में मेरे पिता जी के चचेरे भाई ठाकुर कालीचरण सिंह ही एक मात्र पढ़े लिखे और कमाने वाले थे! वही पूरे परिवार की खैर खबर लेते थे! वे बहुत ही सजन और मृदुभाषी एक अच्छे इंसान थे, सारे तहसील में लोग उन्हें जानते थे और उनकी खूब इज्जत करते थे! वे राजा दरभंगा के यहाँ ड्राइवर की ड्यूटी करते थे! उससे पहले उनहोंने कालाकाकर राजा ब्रिजेश सिंह जी के यहाँ भी ड्राइवर की नौकरी की थी!
- इस व्यवस्था में ऐसे बदलाव किये जायें, मॉनिटरिंग की ऐसी व्यवस्था हो, पारदर्शिता ऐसी हो कि यह संदेह नही बना रहे कि क्या पोलिस ने कोई टेंपरिंग किया? हमें नही भूलना चाहिये कि ईमानदार, कर्तव्य के प्रति जागरूक और सजग अधिकारी पुलिस में भी हैं और मंत्रालय में यह कह कर नही बर्खास्त कर रही कि उसे नोटिस नही दी गई-क्या हम भाई ठाकुर और पप्पू कलानी को भूल गये जो इसलिये टाडा से छूट ये कि सरकार ने १८० दिनों के अंदर अंदर उन्हें चार्जशीट नही किया।
- तब उसकी टंकित तीन प्रतियाँ भाई ठाकुर प्रसाद सिंह ने (निदेशक) निर्णय के लिए तीन विद्वानों के पास भेजी थीं-द्विवेदी जी, डॉ. कृष्णदेव उपाध्याय और डॉ. रघुवंश (इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष) तीनों ही ने कलम तोड़कर इस कार्य को सराहा था और तब आचार्य द्विवेदी, महादेवी वर्मा, रामविलास शर्मा, रामकुमार वर्मा, सेठ गोविन्ददास जैसे विद्वानों के साथ इस आदिवासी लेखक को भी सर्वोच्च नामित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार से ३ ७ वर्ष की अवस्था में सम्मानित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
- इस व्यवस्था में ऐसे बदलाव किये जायें, मॉनिटरिंग की ऐसी व्यवस्था हो, पारदर्शिता ऐसी हो कि यह संदेह नही बना रहे कि क्या पोलिस ने कोई टेंपरिंग किया? हमें नही भूलना चाहिये कि ईमानदार, कर्तव्य के प्रति जागरूक और सजग अधिकारी पुलिस में भी हैं और मंत्रालय में यह कह कर नही बर्खास्त कर रही कि उसे नोटिस नही दी गई-क्या हम भाई ठाकुर और पप्पू कलानी को भूल गये जो इसलिये टाडा से छूट ये कि सरकार ने १ ८ ० दिनों के अंदर अंदर उन्हें चार्जशीट नही किया।