मलयजी वाक्य
उच्चारण: [ melyeji ]
उदाहरण वाक्य
- पता नहीं मलयजी पर क्या बीत रही होगी? वे अपनी नौकरी कैसे कर रहे होंगे? अब मैंने अपनी ओर से सम्पर्क करना शुरु कर दिया था-नित्य प्रायः ही।
- पा समीर का स्पर्श, गंध में डूबा करती है फुलवारी जहाँ उपस्थित होते, होती सभा तीन लोकों से न्यारी हुआ मधुर कुछ और बहे जब शब्द मलयजी हो होठों से सभी निहारें फंथ आयेंगे पुन: आप फिर कब दोबारी
- मेघ आषाढ़ी बुलाते सावनों को, झूम आओ शाख कहती वॄक्ष की, अब डाल पर झूले झुलाओ मलयजी झोंके खड़े हैं हो गये दहलीज आकर धूप भी कहने लगी दालान से नवगीत गाकर साथ गाओ, आज का दिन आपका शुभ जन्मदिन है
- मेघ आषाढ़ी बुलाते सावनों को, झूम आओ शाख कहती वॄक्ष की, अब डाल पर झूले झुलाओ मलयजी झोंके खड़े हैं हो गये दहलीज आकर धूप भी कहने लगी दालान से नवगीत गाकर साथ गाओ, आज का दिन आपका शुभ जन्मदिन है
- फूल की पांखुरी पर थिरकती हुई रात भर जो पिघल कर बही चाँदनी सातरंगी लिये तूलिका लिख रही मलयजी गंध की इक मधुर रागिनी घाट वाराणसी के सजग हो उठे मंत्र के शब्द जीवंत करते हुए और उन्नत ललाटों पे अंकित हुए रोलियाँ और चंदन निखरते हुए
- वादियों में शिखर से उतरता हुआ भोर की घंटियों से उठा जाग के और पगडंडियों के किनारे खड़ी दूब को देता संदेश अनुराग के मलयजी ओढ़नी को लपेटे हुए ढल रही सांझ जैसा लजाता हुआ कोयलों के सुरों की पिरो रागिनी कंठ में अपने, वंशी बजाता हुआ
- शाख के पत्र सब नॄत्य करने लगे पांखुरी पांखुरी साज बन कर बजी क्यारियों में उमड़ती हुई गंध आ रुक गई एक दुल्हन सरीखी सजी पर्वतों के शिखर से उतर कर घटा वादियों में नये गीत गाने लगी आपकी ओढ़नी का सिरा चूम जब एक झोंका हवा का हुआ मलयजी.