महाड वाक्य
उच्चारण: [ mhaad ]
उदाहरण वाक्य
- इस क्रम में सबसे पहले मोरगांव स्थित मोरेश्वर इसके बाद क्रमश: सिद्धटेक में सिद्धिविनायक, पाली स्थित बल्लालेश्वर, महाड स्थित वरदविनायक, थेऊर स्थित चिंतामणी, लेण्याद्री स्थित गिरिजात्मज, ओझर स्थित विघ्रेश्वर, रांजणगांव स्थित महागणपति की यात्रा की जाती है।
- ' मालूम हो कि महाराष्ट्र के कोकण नामक इलाके के महाड नामक क्षेत्रा के सार्वजनिक तालाब पर हजारों की संख्या में दलितों ने अन्य तमाम समानविचारी लोगों डाॅ बाबासाहेब आम्बेडकर के नेतृत्व में एक सत्याग्रह किया था।
- 25 दिसम्बर के दिन ऐतिहसिक महाड सत्याग्रह के दौरान बाबा साहेब अम्बेडकर के नेतृत्व में जाति व्यवस्था को जायज ठहराने वाली मनुस्मृति का सार्वजनिक दहन किया गया था लेकिन मनुस्मृति का विधान आज भी हमारे समाज में गहरे रचा बसा है।
- इस क्रम में सबसे पहले मोरगांव स्थित मोरेश्वर इसके बाद क्रमश: सिद्धटेक में सिद्धिविनायक, पाली स्थित बल्लालेश्वर, महाड स्थित वरदविनायक, थेऊर स्थित चिंतामणी, लेण्याद्री स्थित गिरिजात्मज, ओझर स्थित विघ्रेश्वर, रांजणगांव स्थित महागणपति की यात्रा की जाती है.
- महाड सत्याग्रह द्वारा सार्वजनिक तालाबों से पानी पीने के अधिकार, कालाराम मंदिर में दलितों के प्रवेश का अधिकार, अंग्रेजी सरकार के सामने दलितों के लिए वयस्क मताधिकार का अधिकार, गोलमेज सम्मेलन में पृथक निर्वाचन के अधिकार की लड़ाई ऐसी ही कोशिश थी.
- उनके जीवन के सबसे पहले ऐतिहासिक संघर्ष को ही देखें जब 1927 में महाड के चवदार तालाब पर सत्याग्रह करने वह पहुंचते हैं (19-20 मार्च 2008) जिसके बारे में मराठी में हम कहते हैं कि जब ‘ उन्होंने पानी में आग लगा दी।
- शुरू में उन्होंने यह कल्पना की थी कि सवर्ण हिंदुओं के उन्नत तत्व कुछ तयशुदा सुधारों को बढ़ाने के लिए आगे आएंगे, लेकिन जल्दी ही, महाड में उनके बारे में उनका भ्रम टूट गया और वे राजनीतिक मौके हासिल करने की तरफ मुड़ गए.
- (बाबुराव बागुल-यहां जिन्होंने विद्रोह करना चाहिए था, उन्होंने नहीं किया, भाषण, बौद्ध साहित्य सम्मेलन, महाड, 1971, संकलित-दलित साहित्य, वेदना और विद्रोह, सम्पादक-शरण कुमार लिम्बाले, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, प्रथम संस्करण, 2010, पृष्ठ-144)
- इसमें संदेह की कोई गुंजाइशनहीं कि बाबा साहब के समय के सामाजिक व धार्मिक आंदोलनों में दलित स्त्रियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. चाहे वह राम-मंदिर प्रवेश का प्रश्न रहा हो या महाड तालाब से पानी लेने का सवाल रहा हो अथवा मनु-स्मृति के दहन का कार्यक्रम, महिलाएं हर मोर्चे पर डटी रहीं और मरने-मिटने को तैयार रहीं.