महात्मा हंसराज वाक्य
उच्चारण: [ mhaatemaa henseraaj ]
उदाहरण वाक्य
- उस समय तक डी॰ए॰वी॰ स्कूल (1886) महात्मा हंसराज द्वारा स्थापित किए जा चुके थे जो इस आधुनिकता के आग्रह को ‘ एंग्लो ' विशेषण के साथ चुनते हैं।
- इधर कॉलेज में महात्मा हंसराज ने, जो आपके मौसेरे भाई थे, कॉलेज शिक्षा पद्धति का विरोध करने व गुरुकुल पद्धति का समर्थन करने पर आपको कॉलेज से निष्कासित कर दिया।
- गुरुकुल पार्टी में राजनैतिक चेतना अधिक होने का प्रमाण कालिज पार्टी के प्रमुख नेता महात्मा हंसराज और गुरुकुल पार्टी के प्रमुख नेता स्वामी श्रध्दानंद के व्यवहार से ही स्पष्ट हो जाता है।
- महाशय जी के ज्येष्ठ पुत्र प्राणनाथ जी तब केवल ११ वर्ष के थे पर आर्य नेताओं ने निर्णय लिया की समस्त आर्य हिन्दू समाज के प्रतिनिधि के रूप में महात्मा हंसराज मुखाग्नि दे.
- लाला हंसराज (महात्मा हंसराज) (१ ९ अप्रैल, १ ८ ६ ४-१ ५ नवम्बर, १ ९ ३ ८) अविभाजित भारत के पंजाब के आर्यसमाज के एक प्रमुख नेता एवं शिक्षाविद थे।
- स्वामी श्रद्धानंद शिक्षाविद तथा आर्य प्रचारक होने के साथ साथ कांग्रेस के नेता भी थे स्वामी श्रद्ध्नंद जी लाला लाजपत राय जी तथा महात्मा हंसराज जी ने धर्म परिवर्तन करने वालों को पुनः वैदिक धर्म में शामिल करने का अभियान चलाया ।
- स्वामी श्रद्धानंद शिक्षाविद तथा आर्य प्रचारक होने के साथ साथ कांग्रेस के नेता भी थे स्वामी श्रद्ध्नंद जी लाला लाजपत राय जी तथा महात्मा हंसराज जी ने धर्म परिवर्तन करने वालों को पुनः वैदिक धर्म में शामिल करने का अभियान चलाया ।
- देवनागरी लिपि के समर्थन में केशवचंद्र सेन, भूदेव मुखर्जी, महात्मा हंसराज, स्वामी श्रद्धानंद, लोकमान्य तिळक, पं. मदन नोहन मालवीय, काका कालेलकर, पुरुषोत्तम दास टंडन, विनोबा भावे आदि सैकड़ों राष्ट्र हितैषियों ने हिंदी भाषा एवं देवनागरी लिपि को देश के लिए अनिवार्य घोषित किया।
- सत्यशोधक समाज संस्था का गठन कर समाज के निर्धन, दलित व् महिला वर्ग की समस्याओं को दूर करने के सार्थक प्रयास किये ॥ महात्मा हंसराज ; राष्ट्र-प्रेम को उचित शिक्षा पद्धति ही सही दिशा दे सकती है इस सत्य को जानकर दयानंद एंग्लो वैदिक स्कूल की आधारशिला रखने वाले महान शिक्षाविद् नें अंग्रेज़ी राज में युवाओं में भारतीयता के संस्कार जगाने का जो कार्य किया था वह आज तक चल रहा है ।
- वह कांग्रेस कार्यकारिणी के सदस्य भी थे | स्वामी जी ने और लाला लाजपत राय ने यह महसूस किया की अगर मुस्लिमो और इसाईओं को हिन्दुओं के निर्बाध धर्मान्तरण की छूट मिलती रही तो यह हिंदुस्तान की एकता के लिए भरी खतरा सिद्ध होगा | स्वामी श्रधानंद जी, लाला लाजपत राय जी और महात्मा हंसराज जी ने धरम परिवर्तन करने वाले हिन्दुओं को पुन: वैदिक धरम मैं शैल करने का अभियान शुरू किया |