महादजी सिंधिया वाक्य
उच्चारण: [ mhaadeji sinedhiyaa ]
उदाहरण वाक्य
- इस प्रकार भीमसिंह के सामंत सरदारों ने राजपुत्र की मर्यादा का निर्वहन किया. फलतः '' ' महादजी सिंधिया '' ' के सैनिकों के सिर मैदान में गिरने लगे.
- कालभैरव के शत्रु नाश मनोकामना को लेकर कहा जाता है कि यहां मराठा काल में महादजी सिंधिया ने युद्ध में विजय के लिए भगवान को अपनी पगड़ी अर्पित की थी.
- तत्कालीन गवर्नर-जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने हैदर अली के मुकाबले के लिए आयरकूट को दक्षिण भेजा, जिसने अपनी सफल कूटनीति से महादजी सिंधिया और निज़ाम को अंग्रेज़ विरोधी गुट से अलग करने में सफलता प्राप्त की।
- गुहा में दरवाजा सोमनाथ मंदिर से किया गया है और उधर से गजनी करने के लिए किया जाता है महमूद शाह अब्दाली ने लाहौर से जहां यह महादजी सिंधिया द्वारा बचाया गया है, माना जाता है ।
- 88 / ref > राजा छत्र सिंह ने समस्त दलों से कहा कि महादजी सिंधिया के दलों के साथ उत्साहपूर्वक उलझ जाओ, बलपूर्वक और क्रोद्ध में भर कर शत्रु को मार गिराओ और उनके सिरों को झुकादो.
- 295, 301, 303, 315, 317, 332, 339, 347, 391, 399, 402, 403 इत्यादि और सरदेसाई की ‘New History of the Marathas', Vol.।।। का सातवाँ और आठवाँ परिच्छेद; जहाँ नाना फडनीस का महादजी सिंधिया के प्रति वैर और मल्हार इत्यादि के चरित्रों का पूरा वर्णन है।
- 77-83 / ref > गोहद नरेश छत्र सिंह को इस बात का बहुत बड़ा श्रेय प्राप्त है कि उन्होंने मराठा सेनापति महादजी सिंधिया के विशाल दल को उसी प्रकार रोक लिया था, जिस प्रकार सागर के तूफ़ान को बढ़वानल सोख लेता है.
- इसमें बड़े विस्तार के साथ, '' ' अनिरुद्ध '' ' या अनुरुद्ध ([[Ater | अटेर]] का शासक), सिरजा ('' ' महादजी सिंधिया '' ') आदि मराठा सरदारों के साथ राजा भीमसिंह राणा के भीषण संग्राम का वर्णन है.
- ग्वालियर राज में जब पिंडारियों का आतंक चरम सीमा पर था तो पहले के हिंदू राजाओं की तरह मुजरा सुनने और द्यूत क्रीड़ा में तल्लीन रहने की बजाय महादजी सिंधिया खुद पिंडारियों के सफाए के लिए मैदान में उतरे और उन्होंने प्रजा की रक्षा करने का दायित्व बहुत ही साहसपूर्वक निभाया।
- ग्वालियर नरेश महादजी सिंधिया की विधवा बाइयों को महाराज शत्रुजीत सिंह ने सेंवढ़ा के किले में आश्रय दिया था, जिससे रुष्ट होकर सिंधिया महाराजा दौलतराव ने शत्रुजीतसिंह पर आक्रमण करने के लिये अंबाजी इंगले के नेतृत्व में एक विशाल सेना भेजी थी, पहली ही मुठभेड़ में अम्बाजी ने दतिया नदेश के बल वैभाव की थाह लेली और ग्वालियर नरेश के पास और अधिक सेना भेजने हेतु सूचना पहुँचाई।