माइ नेम इज़ ख़ान वाक्य
उच्चारण: [ maai nem ij khan ]
उदाहरण वाक्य
- विश्व दीपक-“ रहम-ओ-करम ” शंकर महादेवन और विशाल दादलानी की आवाज़ों में था और इसे सुनते हुए ' माइ नेम इज़ ख़ान ' के “ नूर-ए-ख़ुदा ” की याद आ ही जाती है जिसे शंकर महादेवन के साथ अदनान सामी और श्रेया घोषाल ने गाया था।
- विश्व दीपक-वाह! मैंने साल के सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए जिन दो गीतों को निर्धारित किया है, उनमें से एक है फ़िल्म ' रावण ' से “ रांझा रांझा ” तथा दूसरा गीत है “ सजदा ” ' माइ नेम इज़ ख़ान ' फ़िल्म का।
- सुजॊय-सजीव, इससे पहले कि आप आज की फ़िल्म का नाम बताएँ, जैसे कि इस साल के दो महीने गुज़र चुके हैं, तो ' माइ नेम इज़ ख़ान ' के अलावा किसी भी फ़िल्म ने बॊक्स ऒफ़िस पर कोई जादू नहीं चला पायी है।
- शंकर महादेवन ने बताया कि उन्होंने कजरारे और धन्नो जैसे आइटम सॉन्ग भी कंपोज़ किए हैं तो दूसरी ओर फ़िल्म माइ नेम इज़ ख़ान का भी संगीत दिया है जिसमें एक भी आइटम सॉन्ग नहीं था और गानों में ग़ज़ल का पुट था, फिर भी गाने सुपरहिट रहे.
- चाहे वो ‘ माइ नेम इज़ ख़ान ' में राष्ट्रपति को मुस्लिम समुदाय की ओर धारणा बदलने को कहना या “ न्यूयॉर्क ” और “ आमिर ” फ़िल्म में उदारवादी मुसलमानों का चित्रण, जिसे भारत के बाहर, ख़ास तौर पर अरब देशों में बहुत सराहा गया. ”
- सजीव-आप सभी को मालूम ही होगा कि ' माइ नेम इज़ ख़ान ' करण जोहर की फ़िल्म है, जिसमें शाहरुख़ ख़ान के अलावा काजोल, शीतल मेनन, जिम्मी शेरगिल, ज़रीना वहाब हैं, और ढेर सारे अमरीकी कलाकार भी आपको इस फ़िल्म में नज़र आएँगे।
- मेरी नज़र में जो दो श्रेष्ठ रचनाएँ हैं, वो हैं जगजीत सिंह की आवाज़ में “ फूल खिला दे शाखों पर ”, फ़िल्म ' लाइफ़ एक्सप्रेस ' का यह गीत, तथा ' माइ नेम इज़ ख़ान ' का “ अल्लाह ही रहम ” जिसे राशिद खान ने गाया है।
- फिर इस फ़िल्म में 11 सितंबर के हमले के बाद के माहौल में यहीं अंतर हीरो अमरीका के राष्ट्रपति को समझाने की कोशिश करता है, ये कह कर कि-माइ नेम इज़ ख़ान एंड आई एम नॉट ए टेररिस्ट यानी मेरा नाम ख़ान है और मैं आतंकवादी नहीं हूं.
- शफ़ाक़त अमानत अली, जो करण जोहर की कई फ़िल्मों में गीत गा चुके हैं (“ मितवा ”-कभी अलविदा ना कहना, “ तेरे नैना ”-माइ नेम इज़ ख़ान), इस गीत में भी उनकी आवाज़ ने वही असर किया है, और इस गीत के मूड के मुताबिक उनकी आवाज़ अच्छी जमी है।
- इसके अलावा ' पान सिंह तोमर ', ' पीटर गया काम से ', ' फ़िल्म सिटि ', ' माइ नेम इज़ ख़ान ', ' कुची कुची होता है ', ' तीन पत्ती ', ' रण ', ' वीर ', ' राइट या रॊंग् ', और ' दुल्हा मिल गया ' जैसी फ़िल्में एक के बाद एक आती जाएँगी।