माधव शुक्ल वाक्य
उच्चारण: [ maadhev shukel ]
उदाहरण वाक्य
- पं. माधव शुक्ल के पश्चात परिषद का नेतृत्व पं. देवव्रत मिश्र व ललित कुमार सिंह ‘ नटवर ' ने किया और नूरजहां, शाहजहां, उस पार, महात्मा ईसा, छत्रसाल व पुनर्मिलन (महानिशा) मंचित किए ।
- बीसवीं शताब्दी के दूसरे दशक में पं. माधव शुक्ल के कोलकाता आगमन और भोलानाथ बर्मन के साथ ‘ हिन्दी नाट्य परिषद ' की स्थापना से कोलकाता के हिन्दी रंगमंच को अपेक्षित गति व प्रतिष्ठा मिली जिसका सतत विकास आज के समर्थ नाट्य आंदोलन में देखा जा सकता है ।
- 2 अक्टूबर 2012 को पिता माधव शुक्ल ' मनोज' अपने स्व में लौट गये...उनका स्थान हृदय में खाली सा हुआ...भाव व्यक्त करने की इच्छा नहीं हुई और सतत् विचार समग्रता से नहीं दिख सका...सो मैनें ऐसा कुछ नहीं किया कि करने का मात्र कर्तव्य बोध हो...लिखना मेरी प्रसन्नता का कारण हो तभी मुझे लिखना उचित लगता है।
- आज बुन्देली भाषा को माध्यम बनाकर गुणसागर सत्यार्थी, लोकन्द्र सिंह नागर, महेश कुमार मिश्र, अवधेश, दुर्गेश दीक्षित, माधव शुक्ल मनोज, हरगोविन्द त्रिपाठी ' पुष्प ', डॉ. अवधकिशोर जड़िया, कन्हैया लाल वर्मा ' बिन्दु ', कुंजीलाल पटेल ' मनोहर ' जगदीश रावत जैसे रचनाकार जन भावनाओं को काव्य में प्रकट कर हिन्दी साहित्य की सेवा कर रहे हैं ।
- जो लोग पिछड़कर या जानबूझकर इस युग से पीछे रह गए थे, खड़ी बोली के उन समर्थ कवियों में पं. नाथूराम शर्मा ‘ शंकर ', श्री हरिऔधजी, पं. रामनरेश त्रिपाठी, पं. माधव शुक्ल, पं. रामचरित उपाध्याय, श्री अनूप शर्मा ‘ अनूप ' श्री गयाप्रसादजी शुक्ल ‘ सनेही ', पं. जगदम्बा प्रसाद मिश्र ‘ हितैषी ' और ठाकुर गोपालशरण सिंहजी प्रथान थे।
- आप नाटक-नौटंकी यानी रंगकर्म की बात करके अपने को बुद्धिजीवी साबित करने की जुगत में लगे होंगे तो आप इलाहाबाद को पंडित माधव शुक्ल, भुवनेश्वर, नेमिचंद जैन, श्रीमती तेजी बच्चन (जी हां, अमिताभ की मम्मी), एकांकी सम्राट कहलाने वाले डॉ. रामकुमार वर्मा, डॉ. लक्ष्मी नारायण लाल, सरनबली श्रीवास्तव, रामचन्द्र गुप्त और नई पीढ़ी में कल्पना सहाय जैसे लोगों का शहर कहकर अपने को बुद्धिजीवी और इलाहाबाद को आधुनिक हिन्दी नाटकों का शहर बताते घूम रहे होंगे।