मूत्रकृच्छ वाक्य
उच्चारण: [ muterkerichechh ]
"मूत्रकृच्छ" अंग्रेज़ी में
उदाहरण वाक्य
- इस नुस्खे के सेवन से धातु दोष, स्वप्न दोष, शीघ्रपतन और मूत्रकृच्छ आदि में भी बहुत लाभ होता है।
- एरक और पटेर ये दोनों ही कषाय और मधुर रस युक्त शीतवीर्य, मूत्रल,रोपक और मूत्रकृच्छ और रक्त-पित्त नाशक है।
- वीर्य शांत होने से व्यक्ति में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं जैसे-प्रमेह, मूत्रकृच्छ, नपुंसकता आदि।
- इससे सूजन, मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में परेशानी या जलन) तथा दिल के रोग ठीक हो जाते हैं।
- मूत्रकृच्छ, पीलिया, हिचकी, खांसी आदि रोग में बन्दाल की थोड़ी मात्रा प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
- यदि रोगी मूत्रकृच्छ रोग से पीड़ित है और पेशाब करने में कष्ट होने के साथ कमर में दर्द भी रहता है।
- ऐसे लक्षणों वाले मूत्रकृच्छ रोग में रोगी को कैन्थरिस औषधि की 6 या 30 शक्ति का उपयोग करना हितकारी होता है।
- पीड़ा रहित, अधिक मात्रा में, बारंबार, समय समय पर रक्तमेह तथा रक्तक्षीणता, मूत्रकृच्छ और अकृष्य मूत्राशय प्रदाह इसके मुख्य लक्षण हैं।
- आयुर्वेद के अनुसार यह कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, मूत्रकृच्छ, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है।
- इससे प्रमेह, मूत्रकृच्छ, गठिया, मधुमेह, धातु विकार, स्वप्नदोष, शुक्र तारल्य आदि रोग खत्म होता है।