मेगास्थनीज़ वाक्य
उच्चारण: [ maaasethenij ]
उदाहरण वाक्य
- मेगास्थनीज़, जो कि एक युनानी इतिहासकार और चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में एक राजदूत के नाते आया था, ने पाटलिपुत्र नगर का प्रथम लिखित विवरण दिया ।
- मेगास्थनीज़, जो कि एक यूनानी इतिहासकार और चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में एक राजदूत के नाते आया था, ने पाटलिपुत्र नगर का प्रथम लिखित विवरण दिया ।
- भारत के बारे में जिन यूनानी विवरणों का यहाँ बीच-बीच में उल्लेख हुआ है, वे अधिकतर पाटलिपुत्र (पटना) की राजसभा में सिल्यूकस् के राजदूत मेगास्थनीज़ की सूचनाओं पर आधारित हैं।
- प्राचीन ग्रीक यात्री और भारत में राजदूत, मेगास्थनीज़ का परिचय भी सत्तारूढ़ जाती के रूप में जाती से इसके वैभव दिनों में हुआ था जब इनकी राजधानी मथुरा हुआ करती थी.
- प्राचीन ग्रीक यात्री और भारत में राजदूत, मेगास्थनीज़ का परिचय भी सत्तारूढ़ जाती के रूप में जाती से इसके वैभव दिनों में हुआ था जब इनकी राजधानी मथुरा हुआ करती थी.
- प्राचीन ग्रीक यात्री और भारत में राजदूत, मेगास्थनीज़ का परिचय भी सत्तारूढ़ जाति के रूप में जाती से इसके वैभव दिनों में हुआ था जब इनकी राजधानी मथुरा हुआ करती थी.
- इसने सिकन्दर के अभियानों का सबसे अच्छा वृत्तांत (ऐनाबेसिस) लिखा और निआर्कस, मेगास्थनीज़ तथा भूगोलवेत्ता एराटोस्थनीज़ (276-195 ई.पू.) की रचनाओं के आधार पर भारत, उसके भूगोल, वहाँ के रहन-सहन तथा रीति-रिवाजों के बारे में एक छोटी-सी पुस्तक लिखी है।
- इस पुस्तक के 15वें भाग का प्रथम अध्याय भारत के बारे में है, इसमें सिकन्दर के साथियों तथा मेगास्थनीज़ की रचनाओं से ली गई सामग्री के आधार पर भारत के भूगोल, उसके निवासियों के रहन-सहन तथा रीति-रिवाजों का वर्णन किया गया है।
- ↑ अर्रियन, दिओदोरुस, तथा स्ट्रैबो के अनुसार मेगास्थनीज़ ने एक भारतीय जनजाति का वर्णन किया है जिसे उसने सौरसेनोई कहा है, जो विशेष रूप से हेराक्लेस की पूजा करते थे, और इस देश के दो शहर थे, मेथोरा और क्लैसोबोरा, और एक नाव्य नदी,.
- मेगास्थनीज़, जो कि एक यूनानी इतिहासकार और चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में यूनानी शासक सिल्यूकस के एक राजदूत के नाते आया था, ने पाटलिपुत्र नगर का प्रथम लिखित विवरण दिया है उसने अपनी पुस्तक मे इस शहर के विषय मे एवं यहां के लोगों के बारे मे भी विशद विवरण दिया है जो आज भी भारतीय इतिहास के छात्रों के लिए संदर्भ के रूप मे काम आता है| शीघ्र ही पाटलीपुत्र ज्ञान का भी एक केन्द्र बन गया ।