मेवाड़ शैली वाक्य
उच्चारण: [ maad shaili ]
उदाहरण वाक्य
- हालांकि चावंड को छप्पन क्षेत्र का केंद्र रहने का सौभाग्य मिला, किंतु यह बड़ा सच है कि यहीं से मेवाड़ शैली के चित्रों का प्रचलन भी हुआ।
- 1260-1317 ई. में लिखा गया 'श्रावक प्रतिक्रमण सूत्रचूर्णि' नामक ग्रन्थ मेवाड़ शैली (आहड़) का प्रथम उपलब्ध चिह्न है, जिसके द्वारा राजस्थानी कला के विकास का अध्ययन कर सकते हैं।
- पाली नामक ठिकाने में बनाए गए मेवाड़ शैली के चित्रों के अभिप्राययद्यपि पारंपरिक हैं फिर भी वे कला इतिहासकारों के लिए महत्वपूर्ण हैंक्योंकि कलाकार वीरजी द्वारा १६२३ में चित्रित रागमाला की एक श्रृंखलायहीं से मिली है.
- 15वीं शदी तक मेवाड़ शैली की विशेषता में सवाचश्म्, गरुड़ नासिका, परवल की खड़ी फांक से नेत्र, घुमावदार व लम्बी उंगलियां, गुड्डिकार जनसमुदाय, चेहरों पर जकड़न, अलंकरण बाहुल्य, लाल-पीले रंग का अधिक प्रयोग कहे जा सकते हैं।
- यहाँ की चित्रण-परम्परा मेवाड़ शैली की भांति है. बारहवीं शती में रामानुज ने वैष्णव सम्प्रदाय प्रारम्भ किया जिसका समस्तभारत पर प्रभाव पड़ा और सोहलवीं शती के प्रारम्भिक काल तक उत्तरी भारतमें इस आन्दोंलन ने एक विशाल रूप ग्रहण कर लिया.