यशवंतराव होलकर वाक्य
उच्चारण: [ yeshevnetraav holekr ]
उदाहरण वाक्य
- मंदिर की स्थापना के बारे में किंवदंती है कि इसका निर्माण यशवंतराव होलकर चतुर्थ (एकाक्षी) ने तब करवाया था, जब एक बार वे महेश्वर के जंगलों में शिकार करने के लिए गए थे।
- महाराजा यशवंतराव होलकर ने जब देखा कि अन्य राजा अपने व्यक्तिगत स्वार्थों के चलते एकजुट होने के लिए तैयार नहीं थे, तब अंततः २४ दिसंबर १८०५ को राजघाट नामक स्थान पर अंग्रेजों के साथ संधि (राजघाट संधि) पर हस्ताक्षर कर दिये।
- यह मंदिर पहले एक खँडहर के रूप में था लेकिन सन 2006 में होलकर साम्राज्य के अंतिम शासक महाराजा यशवंतराव होलकर के पुत्र प्रिन्स रिचर्ड होलकर की बेटी राजकुमारी सबरीना के विवाह के उपलक्ष में स्मृति स्वरुप इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया.
- यदि भारतीय शासकों ने उनका साथ दिया होता तो शायद तस्वीर कुछ और होती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और एक महान शासक यशवंतराव होलकर इतिहास के पन्नों में कहीं खो गया और खो गई उनकी बहादुरी, जो आज अनजान बनी हुई है।
- यह मंदिर पहले एक खँडहर के रूप में था लेकिन सन 2006 में होलकर साम्राज्य के अंतिम शासक महाराजा यशवंतराव होलकर के पुत्र प्रिन्स रिचर्ड होलकर की बेटी राजकुमारी सबरीना के विवाह के उपलक्ष में स्मृति स्वरुप इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया.
- यशवंतराव होलकर की बहादुरी से वाकिफ है आप..? पिछली कड़ी को जारी रखते हुए, यहाँ मै आपका परिचय इतिहास के उन भुला दिए गए लोगो से करवा रहा हु, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते है, पर उनका इतिहास में योगदान अभूतपूर्व है, उनके सहस को आप सलाम करेंगे, और जब भी आप इतिहास देखे तो आपको गर्व होगा की हमारा इतिहास कितना गौरवशाली रहा है.
- महेश्वरी साड़ियों की परंपरा को जीवित रखने के लिए तथा इस कला के विकास के लिए इंदौर राज्य के अंतिम शासक महाराजा यशवंतराव होलकर के इकलौते पुत्र युवराज रिचर्ड ने रेवा सोसाइटी नामक एक संस्था तथा ट्रस्ट का निर्माण किया तथा आज भी उनकी देख रेख में महेश्वर के किले में ही महेश्वरी साड़ियों का निर्माण होता है, बनाने वाले कारीगर भी उन्ही बुनकरों के वंशज हैं जो देवी अहिल्या बाई के समय हुआ करते थे, तथा जिन्हें देवी अहिल्याबाई ने हैदराबाद से आमंत्रित किया था.
- महेश्वरी साड़ियों की परंपरा को जीवित रखने के लिए तथा इस कला के विकास के लिए इंदौर राज्य के अंतिम शासक महाराजा यशवंतराव होलकर के इकलौते पुत्र युवराज रिचर्ड ने रेवा सोसाइटी नामक एक संस्था तथा ट्रस्ट का निर्माण किया तथा आज भी उनकी देख रेख में महेश्वर के किले में ही महेश्वरी साड़ियों का निर्माण होता है, बनाने वाले कारीगर भी उन्ही बुनकरों के वंशज हैं जो देवी अहिल्या बाई के समय हुआ करते थे, तथा जिन्हें देवी अहिल्याबाई ने हैदराबाद से आमंत्रित किया था.