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युद्ध और शान्ति वाक्य

उच्चारण: [ yudedh aur shaaneti ]

उदाहरण वाक्य

  1. सरकारी-गैर सरकारी गतिविधियों, व्यापार-वाणिज्य, ज्ञान-विज्ञान-प्रौद्योगिकी, शिक्षा-संस्कृति-कला-शिल्प-बाजार-सिनेमा-खेल-मीडिया आदि राष्ट्रीय सन्दर्भों के साथ तथा राजनीति, अर्थनीति, युद्ध और शान्ति, धर्म, पर्यावरण आदि वैश् िवक व्यवहारों-संस्कारों की भी भाषा बन सके।
  2. ' कुरुक्षेत्र' में महाभारत के शान्ति पर्व के मूल कथानक का ढाँचा लेकर दिनकर ने युद्ध और शान्ति के विशद, गम्भीर और महत्त्वपूर्ण विषय पर अपने विचार भीष्म और युधिष्ठर के संलाप के रूप में प्रस्तुत किये हैं।
  3. ' कुरुक्षेत्र ' में महाभारत के शान्ति पर्व के मूल कथानक का ढाँचा लेकर दिनकर ने युद्ध और शान्ति के विशद, गम्भीर और महत्त्वपूर्ण विषय पर अपने विचार भीष्म और युधिष्ठर के संलाप के रूप में प्रस्तुत किये हैं।
  4. पुरुष अपने-आप में यह खाली प्रेम कहानियों वाली समस्या नहीं, एक भयंकर सामाजिक प्रश्न है कि इस सामूहिक निर्माण की बेला में कब तक वे आख़िर अपने-आपसे अलग अलग लड़ते रहेंगे? यह रोटी की समस्या, जीवित रहने की समस्या, युद्ध और शान्ति की समस्या...
  5. लेव तोल्स्तोय के ये शब्द-हमारे लिए भी बहुत कुछ स्पष्ट करते हैं, जब भी उनकी बात होती है तो उनके विश्व विख्यात उपन्यास-युद्ध और शान्ति, अन्ना कारेनिना और पुनुरुथ्हन के विषय में ही, लेकिन ' कज्जाक ' जिसका शाब्दिक अर्थ है ' आजाद आदमी ' ।
  6. वे सपने में नहीं देखते मालिक होने के गुमान और अरमान युद्ध और शान्ति के फतवे नहीं सहेजते आत्मदाह के साथ दुनिया नष्ट करने की साजिश अपने ' पक्षीपने' से नहीं करते उजागर दबी पशुता और वह मनुष्यपना बस सलिके से सी लेते वेदना को बेतरतीब कोलाहल में भी बतियाते रहते चीं चीं हड़बड़ाना उन्हें नही आया-हरिहर झा
  7. सो जाते कहीं अंधेरे में वृत्तियों को सहेजे हुये सुबकती व्यथाओं को अपने में समेटे नाप लेते गमों के पहाड़ ; वे सपने में नहीं देखते मालिक होने के गुमान और अरमान युद्ध और शान्ति के फतवे नहीं सहेजते आत्मदाह के साथ दुनिया नष्ट करने की साजिश अपने ' पक्षीपने ' से नहीं करते उजागर दबी पशुता और वह मनुष्यपना
  8. अपने उपन्यास “ युद्ध और शान्ति ” में इन आंशू बहाने बाले लोगों के बारे में एक अन्य जगह पर तोलस्तोय ने लिखा है कि उनका हाल ” उस अमीर महिला जैसा है जो अपने सामने बछड़े को मारते हुए देख कर पछाड़ खाकर बेहोश हो जाती है, और शाम को अपनी खाने की मेज पर उसी बछड़े के गोस्त को बड़े चाव के साथ खाती है।
  9. २ अक्टूबर २ ० १ ३ का दिन ; विश्व कोअहिंसा का मार्ग दिखाने वाले युग-पुरुष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और--जय जवान-जय किसान के उदघोष से देश में नवींन प्राण भर कर भारत की जनता की अदम्य शक्ति को युद्ध और शान्ति दोनों क्षेत्रों में विश्व के सम्मुख उभार कर लाने की सामर्थ्य रखनेवाले प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्म-दिवस के अवसर पर हमने हर बारश्रद्धा-सुमन अर्पित किये हैं।
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