रकात वाक्य
उच्चारण: [ rekaat ]
उदाहरण वाक्य
- मीडिया कवरेज स्टार न्यूज़-ऑकलैंड न्यूज़ीलैंड से अनवर और उनकी अहलिया रुंधे गले से रात तीन बजे बताते हैं कि उनने प्रिंस की सलामती के लिए दो रकात नमाज़ पढ़ी है.
- एक जगह तो पाया कि पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब नें तराबी की प्रार्थना अपने घर पर काफी सहज भाव से की थी-दो चार रकात के बीच बीच में ब्रेक लेते हुये।
- एक जगह तो पाया कि पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब नें तराबी की प्रार्थना अपने घर पर काफी सहज भाव से की थी-दो चार रकात के बीच बीच में ब्रेक लेते हुये।
- “ मुआविया बिन खुदरी ने कहा कि, रसूल जब नमाज पढ़ते थे, तो नमाज में रुकू और सजदा तक भूल जाते थे इसलिए रसूल ने एक आदमी को रखा हुआ था, जो उनको बताता था कि वह कौन सी रकात में भूल कर रहे हैं “
- देश के नौजवानों को आगे बढ़कर एक ऐसा दीप जलाना होगा, जिसकी रोशनी में पंडित रामलाल शर्मा को महान पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पूजा-अर्चना करने का यदि पूरा अधिकार प्राप्त है, तो उसी चिराग की रोशनी में अब्दुल्लाह को भी दो रकात नमाज अदा करने का हक भी हासिल होना चाहिए।
- और अपने तौर पर नमाजों में दिल को लगाना, कुरआन की तिलावत करना, रातों में पूरी नमाज के बाद 20 रकात तरावीह की नमाज अदा करना, पूरा कुरआन सुनना और रातों में उठकर तहज्जुत की नमाज पढ़ना, फिर थोड़ा सा नाश्ते के तौर पर सेहरी खा लेना और इसके बाद दिन भर रोजा रखना।
- इसके बाद मैं जिब्रील द्वारा मस्जिद-ए-अक्शा ले जाया गया जहाँ में दो रकात नमाज पढ़ी | इसके बाद जिब्रील मेरे सामने दो प्याले लेकर आये एक दूध से भरा था और दूसरा शराब से लबरे ज...... मैंने दूध वाला प्याला लिया जिब्रील ने कहा की आपने दूध वाला प्याला स्वीकार कर धर्माचार का परिचय दिया है |
- 1-मेराज Miraj की हकीकत क्या है हदीस सही मुस्लिम किताब 1 हदीस 309 के अनुसार मुहम्मद एक बुर्राकالبراق नामके जानवर पर बैठकर यरूशलेम गया और वहां दो रकात नमाज पढ़कर वापस मक्का आगया, कुरान में इसके बारे में यह लिखा है-“ और वह (मुहम्मद) उसे एक बार देख चूका, परली सीमा के बेर के पेड़ के पास, जिसके निकट ही जन्नत है, जो सदा का ठिकाना है.
- शबे बरात में हमारे बहुत से मुसलमान भाई सौ रकात वाली नमाज पढ़ते हैं जब हम हदीसों की महत्वपूर्ण पुस्तकों और मुहद्देसीन उलमा के अकवाल (हदीस के बहुत बड़े बड़े विद्वानों के कथन) पढ़ते हैं तो वह कहते हैं कि शबे बरात में की जाने वाली इबादतें बिदअत और खुराफात हैं जो जाइज नहीं और सही हदीसो से साबित नहीं है, आलमे इस्लाम के सब से मश्हुर मुफ्ती अल्लामा इब्ने बाज़ (रहमतुल्लाह अलैहि) से प्रश्न किया गया कि क्या शबे बरात की कोई खास नमाज हदीसों की रोशनी में प्रमाणित हैं?