रत्नत्रय वाक्य
उच्चारण: [ retnetrey ]
उदाहरण वाक्य
- हजार से अधिक बाल ब्रह्मचारी-बाल ब्रह्मचारिणी आपसे व्रत-प्रतिमाएँ धारण कर रत्नत्रय धर्म का पालन कर रहे हैं।
- रत्नत्रय के तीन रत्न हैं-सच्चा विश्वास (सटीक दृष्टि), सही ज्ञान और सही आचरण।
- इन्हें ही रत्नत्रय (समीचीन धर्मशास्त्र, कारिका 13; स्वयंभूस्तोत्र, कारिका 84) तथा 'योग' (योगशास्त्र, प्र. प्रकाश, सूत्र-15) कहते हैं।
- बिन्दुओंको रत्नत्रय (सम्यक्दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चरित्र) तथा मध्यस्थस्थान को वे मुक्ति का स्थान अर्थात् सिद्धिशाला कहते हैं.
- 2 सितम्बर: गोत्रिरात्र व्रत प्रारम्भ, ओणम पर्व (केरल, तमिलनाडु), मटकीफोड-लीला (बरसाना-मथुरा), वितस्ता त्रयोदशी (जम्मू-कश्मीर), 3 दिन रत्नत्रय व्रत (दिग.
- अध्यात्म में, निश्चय नय, रत्नत्रय में हुई आसादना स्खलन के लिए स्वयं का, स्वयं के द्वारा, स्वयं में क्षमायाचना।
- 24. रत्नत्रय विभूषित वीतरागी मुनिराज योगत्रय से आरंभ-परिग्रह के पूर्ण त्यागी होते हैं अतः उनहें महाव्रती यतीश्वर कहते हैं।
- नमोस्तु, यह शरीर रत्नत्रय साधना में शिथिल होता जा रहा है, इन्द्रियाँ अपना सम्यक काम नहीं कर पा रही हैं।
- नमोस्तु, यह शरीर रत्नत्रय साधना में शिथिल होता जा रहा है, इन्द्रियाँ अपना सम्यक काम नहीं कर पा रही हैं।
- तीर्थंकर महावीर के निर्वाण-गमन के पश्चात् दिगम्बर आचार्यों ने वाङ्मय का प्रणयन कर रत्नत्रय धर्म की ज्योति को सतत् प्रज्ज्वलित किया।