रसरत्नाकर वाक्य
उच्चारण: [ resretnaaker ]
उदाहरण वाक्य
- प्यालो लै चिनी को नीके जोबन तरंग मानो, रंग हेतु पीवत मजीठ मुगलानी है ' सतसई ' के अतिरिक्त भूपतिजी ने ' कंठाभूषण ' और ' रसरत्नाकर ' नाम के दो रीतिग्रंथ भी लिखे जो कहीं देखे नहीं गए हैं।
- गर्गसंहिता आदि भक्तिमार्ग की कथाएँ तो सरल और साधारण पद्यों में कही हैं, पर काव्यकौशल की दृष्टि से जो रचनाएँ की हैं जैसे जरासंधवध, भारतीभूषण, रसरत्नाकर, ग्रीष्मवर्णन, ये यमक और अनुप्रास आदि से इतनी लदी हुई हैं कि बहुत स्थलों पर दुरूह हो गई हैं।
- भारतेंदु के दौहित्र, हिन्दी के उत्कृष्ट लेखक श्रीयुत् बाबू ब्रजरत्नदासजी हैं जिन्होंने अपनी देखी हुई इन अठारह पुस्तकों के नाम इस प्रकार दिए हैं, जरासंधवध महाकाव्य, भारतीभूषण (अलंकार), भाषा व्याकरण (पिंगल संबंधी), रसरत्नाकर, ग्रीष्म वर्णन, मत्स्यकथामृत, वराहकथामृत, नृसिंहकथामृत, वामनकथामृत, परशुरामकथामृत, रामकथामृत, बलराम कथामृत, कृष्णचरित (4701 पदों में), बुद्ध कथामृत, कल्किकथामृत, नहुष नाटक, गर्गसंहिता, (कृष्णचरित का दोहे चौपाइयों में बड़ा ग्रंथ), एकादशी माहात्म्य।