रसेश्वर वाक्य
उच्चारण: [ reseshevr ]
उदाहरण वाक्य
- अब साधक के ऊपर है की ये क्रिया वो बाह्य रूप से संपन्न कर वो मात्र काल ज्ञाता बनता है या इस दुर्लभ विश्व विजयी रसेश्वर का सम्बन्ध आत्मस्थ महालिंग से कर महासिद्ध और परम सिद्ध अवस्था को प्राप्त कर लेता है.
- अनंत विश्वतोमुख इस महाज्योति से जब बाह्य स्थित रसेश्वर का पूर्ण मानसिक एकाकार होता है तो वो परम ज्योति साधक के सातों शरीर को ही न सिर्फ जाग्रत कर देती है बल्कि उनकी शक्तियों के स्त्रोत भी खोल देती है. इसके लिए बहुत धैर्य की आवशयकता होती है.
- वह शून्यवाद के प्रवर्तक दार्शनिक, रसेश्वर तन्त्र के महान् रसायन शास्त्री, चौरासी महासिद्धों में अलौकिक महासिद्ध सरहपा के नाम से विख्यात् रहस्यमय तंत्रसिद्ध, पारद का औषधीय प्रयोग करने वाले प्रथम आचार्य, आयुर्वेद की औषधि, शल्य एवं रसायन विद्या में निष्णात कुशल चिकित्सक सब कुछ एक साथ थे।
- उन्होंने कहा की सदगुरुदेव ने इस रहस्य को समझते हुए कहा था की “पूर्ण संस्कार युक्त पारद से जिसमे समस्त रत्नों का जारण और चारण किया गया हो, दिव्य ओषधियों तथा सिद्धौश्धियों से जिसका मर्दन किया गया हो ऐसे पारद से अद्भुत संयोगो में पूर्ण शिव स्थापन तथा पूर्ण लक्ष्मी स्थापन क्रिया संपन्न कर रसेश्वर का निर्माण किया जाये तथा उस शिवलिंग में सप्त तत्वों “भू,भुवः,स्वः,मह,जनः, तपः, सत्यम” का स्थापन कर यदि त्रिनेत्र मंत्र का जप किया जाये तो निश्चय ही प्राण चक्षु जाग्रत हो जाते हैं.