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रामधारी सिंह 'दिनकर' वाक्य

उच्चारण: [ raamedhaari sinh 'dinekr' ]

उदाहरण वाक्य

  1. *साभार: कविताकोश आग की भीख-रामधारी सिंह 'दिनकर' (सामधेनी) धुँधली हुईं दिशाएँ, छाने लगा कुहासा, कुचली हुई शिखा से आने लगा धुआँ-सा।
  2. (रामधारी सिंह 'दिनकर') विशेष नोट: बचपन में पाठ्यपुस्तकों में जिन कवियों को पढ़ाया गया, उनमें रामधारी सिंह 'दिनकर' का नाम प्रमुख है...
  3. सरहद के पार से / रामधारी सिंह 'दिनकर' / सामधेनी जन्मभूमि से दूर, किसी बन में या सरित-किनारे, हम तो लो, सो रहे लगाते आजादी के नारे।
  4. (रामधारी सिंह 'दिनकर' जी का यह आलेख श्री कनक तिवारी जी ने इतवारी अखबार के लिये उपलब्ध कराई थी जिसे हमने आपके लिये प्रस्तुत किया इतवारी अखबार से साभार)
  5. मैं तो विज्ञानं की छात्रा रही हूँ...लेकिन मेरी माँ ने हिंदी में एम. ए. किया है और वो राष्ट्रकवि सर्वश्री रामधारी सिंह 'दिनकर' की छात्रा रह चुकीं हैं....प्रत्युत्तर देंहटाएं
  6. -रामधारी सिंह ' दिनकर' (सामधेनी) थककर बैठ गये क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है-रामधारी सिंह 'दिनकर' / सामधेनी वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल, दूर नहीं है;
  7. सेवक सैन्य कठोरहम चालीस करोड़कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओरकरते तव जय गानवीर हुए बलिदान,अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिंदुस्तान!प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!-रामधारी सिंह 'दिनकर'
  8. चित्र: विकीमीडिया 'द्वान्दगीत' के कुछ छंद पढ़िए-राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह 'दिनकर' के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर उनके द्वारा रचित 'द्वन्दगीत' के कुछ छंद आपके समक्ष रखना चाहूँगा ।
  9. चित्र: विकीमीडिया 'द्वान्दगीत' के कुछ छंद पढ़िए-राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह 'दिनकर' के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर उनके द्वारा रचित 'द्वन्दगीत' के कुछ छंद आपके समक्ष रखना चाहूँगा ।
  10. स्वर्ग के सम्राट को जाकर खबर कर दे, “रोज ही आकाश चढ़ते जा रहे हैं वे, रोकिये, जैसे बने इन स्वप्नवालों को, स्वर्ग की ही ओर बढ़ते आ रहे हैं वे।”-रामधारी सिंह 'दिनकर' (संग्रह: सामधेनी)
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