रूपगोस्वामी वाक्य
उच्चारण: [ rupegaosevaami ]
उदाहरण वाक्य
- 142 श्लोकों के इस प्रेम-काव्य में रूपगोस्वामी ने अपनी कवि-प्रतिभा का अच्छा परिचय दिया है।
- [49] रूपगोस्वामी को जीव का आचरण वैष्णवीय दैन्य और रीति-नीति के प्रतिकूल लगा।
- ‘ भागवत ' के बाद भक्ति रस की मान्यता का सर्वाधिक श्रेय रूपगोस्वामी को ही है।
- बंगाल के एक शासक के मंत्री रूपगोस्वामी तो मंत्री पद त्यागकर चैतन्य महाप्रभु के शरणागत हो गए थे।
- उसे श्री रूपगोस्वामी के उपदेशों पर चलते हुए अपने आपको शुद्ध सत्व गुण के पद तक उठना चाहिये।
- बंगाल के एक शासक के मंत्री रूपगोस्वामी तो मंत्री पद त्यागकर चैतन्य महाप्रभु के शरणागत हो गए थे।
- श्री रूपगोस्वामी कृष्ण की मधुर लीलाओं की स्मृति के लिए प्राय: इस निर्जन स्थली में भजन करते थे।
- इनमें आचार्य हेमचन्द्र, विश्वनाथ, जयदेव, शारदातनय, शिङ्गभूपाल, भानुदन्त, गौडीय वैष्णव आचार्य रूपगोस्वामी आदि हैं।
- इस आधार पर गोविन्द-विरूदावली का रचनाकाल 1540 माना जाय और उस समय रूपगोस्वामी का आविर्भाव सन् 1470 के लगभग मानना होगा।
- रूपगोस्वामी प्रभृति चैतन्य-मत के विवेचकों ने गोपियों का वर्गीकरण करके कृष्ण की ब्रज वृन्दावन की प्रेमलीला में उनके विभिन्न स्थानों का निर्देश किया है।