लालमणि मिश्र वाक्य
उच्चारण: [ laalemni misher ]
उदाहरण वाक्य
- इसके इतिहास के बारे में अनेक मत हैं किंतु अपनी पुस्तक भारतीय संगीत वाद्य में प्रसिद्ध विचित्र वीणा वादक डॉ लालमणि मिश्र ने इसे प्राचीन त्रितंत्री वीणा का विकसित रूप सिद्ध किया।
- इसके इतिहास के बारे में अनेक मत हैं किंतु अपनी पुस्तक भारतीय संगीत वाद्य में प्रसिद्ध विचित्र वीणा वादक डॉ लालमणि मिश्र ने इसे प्राचीन त्रितंत्री वीणा का विकसित रूप सिद्ध किया।
- यहां के कलाप्रेमियों और इतिहासवेत्ताओं में राय कृष्णदास, उनके पुत्र आनंद कृष्ण, संगीतज्ञ जैसे ओंकारनाथ ठाकुर [86], रवि शंकर, बिस्मिल्लाह खां, गिरिजा देवी, सिद्देश्वरी देवी, लालमणि मिश्र एवं उनके पुत्र गोपाल शंकर मिश्र,
- पण्डित ओँकार नाथ ठाकुर और डॉ बी आर देवधर द्वारा स्थापित इस युवा संस्थान को पल्लवित करने की चुनौती को डॉ लालमणि मिश्र ने अत्यंत सहजता से स्वीकारा और इसका कुशलता से निर्वहन किया।
- पण्डित ओँकार नाथ ठाकुर और डॉ बी आर देवधर द्वारा स्थापित इस युवा संस्थान को पल्लवित करने की चुनौती को डॉ लालमणि मिश्र ने अत्यंत सहजता से स्वीकारा और इसका कुशलता से निर्वहन किया।
- यहां के कलाप्रेमियों और इतिहासवेत्ताओं में राय कृष्णदास, उनके पुत्र आनंद कृष्ण, संगीतज्ञ जैसे ओंकारनाथ ठाकुर [86], रवि शंकर, बिस्मिल्लाह खां, गिरिजा देवी, सिद्देश्वरी देवी, लालमणि मिश्र एवं उनके
- (आज इन्हीं का बजाया हुआ विचित्र वीणा हम सुनेंगे) कुछ और नाम हैं मोहम्मद शरीफ़ ख़ान पूँचावाले, पंडित गोपाल कृष्ण शर्मा, पंडित श्रीकृष्णन शर्मा, उस्ताद अहमद रज़ा ख़ान, पंडित गोपाल शंकर मिश्र (पंडित लालमणि मिश्र के सुपुत्र), डॊ.
- यहां के कलाप्रेमियों और इतिहासवेत्ताओं में राय कृष्णदास, उनके पुत्र आनंद कृष्ण, संगीतज्ञ जैसे ओंकारनाथ ठाकुर [86], रवि शंकर, बिस्मिल्लाह खां, गिरिजा देवी, सिद्देश्वरी देवी, लालमणि मिश्र एवं उनके पुत्र गोपाल शंकर मिश्र, एन राजम, राजभान सिंह, अनोखेलाल,[87] समता
- डॉ लालमणि मिश्र (एम०ए०, पी०एच्०डी, डी० म्यूज० (वीणा), एम० म्यूज० (कण्ठ-संगीत्), बी० म्यूज० (सितार, तबला), (साहित्य रत्न) डीन व प्रमुख्, संगीत एवं ललित कला संकाय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणासी भारतीय सगीत जगत के ऐसे मनीषी थे जो अपनी कला के समान ही अपनी विद्वता के लिए जाने जाते थे।
- डॉ लालमणि मिश्र (एम०ए०, पी०एच्०डी, डी० म्यूज० (वीणा), एम० म्यूज० (कण्ठ-संगीत्), बी० म्यूज० (सितार, तबला), (साहित्य रत्न) डीन व प्रमुख्, संगीत एवं ललित कला संकाय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणासी भारतीय सगीत जगत के ऐसे मनीषी थे जो अपनी कला के समान ही अपनी विद्वता के लिए जाने जाते थे।