वर्मीकम्पोस्ट वाक्य
उच्चारण: [ vermikemposet ]
उदाहरण वाक्य
- वर्षा एवं सर्दी का मौसम छोड़कर गर्मी में हर रोज पानी का छिकाव करते रहना चाहिए 35-45 दिनो के अंदर उपरोक्त कचरा / गोबर वर्मीकम्पोस्ट में बदल जाता हैं।
- वर्मीकम्पोस्ट खाद बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले आयातित केंचुओं को भूमि के उपजाऊपन के लिए हानिकारक मानने वाले पालेकर बताते हैं कि दरअसल इनमें देसी केचुओं का एक भी लक्षण दिखाई नहीं देता।
- वर्मीकम्पोस्ट खाद बनाने में इस्तेमाल किये जाने वाले आयातित केंचुओं को भूमि के उपजाऊपन के लिये हानिकारक मानने वाले श्री पालेकर बताते हंै कि दरअसल इनमें देसी केचुओं का एक भी लक्षण दिखाई नहीं देता ।
- सावधानी: वर्मीकम्पोस्ट से अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए इसे पौधों में डालने के बाद पत्तों आदि से ढक देना चाहिए तथा इसके साथ रसायन उर्वक, कीटनाशी, फफूंदनाशी या खरपतवारनाशी दवा का प्रयोग कभी भी नही करना चाहिए।
- जबकि 35 हजार गाय बैलो से ही 160000 टन वर्मीकम्पोस्ट 70000 लीटर बायो पोस्टिसाइड का निर्माण किया जा सकता है यही नही देश के गाय बैलो के गोबर और मूत्र से ही विश्व के रासायनिक खाद बाजार पर और रासायनिक पेस्टिसाइड बाजार पर कब्जा कर लाखों मिलियन कमा सकते हैं।
- कृषि वैज्ञानिकों एवं इसके जानकारों के अनुसार फसल की बुवाई से पहले वर्मीकम्पोस्ट और गोबर खाद खेत में डाली जाती है और इसमें निहित 46 प्रतिशत उड़नशील कार्बन हमारे देश में पड़ने वाली 36 से 48 डिग्री सेल्सियस तापमान के दौरान खाद से मुक्त हो वायुमंडल में निकल जाता है।
- कृषि वैज्ञानिकों एवं इसके जानकारों के अनुसार फसल की बुवाई से पहले वर्मीकम्पोस्ट और गोबर खाद खेत में डाली जाती है और इसमें निहित 46 प्रतिशत उड़नशील कार्बन हमारे देश में पड़ने वाली 36 से 48 डिग्री सेल्सियस तापमान के दौरान खाद से मुक्त हो वायुमंडल में निकल जाता है ।
- ५ कुं. गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट को मिलाकर भूमि को उपचारित करने से विभिन्न रोगों का समुचित प्रबन्धन किया जा सकता है | ५. पोटाश एवं फास्फोरस युक्त उर्वरकों को संतुलित मात्रा में प्रयोग करना चाहिए जिससे रोग की उग्रता में कमी आती है एवं पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास होता है |
- जीवामृत के प्रयोग से आप खाद बनाने में काफी सरलता महसूस करते हैं यह जीवामृत आपने खैरी गाँव के कृषक सर्वज्ञ दीवान एवं जिन्वान्या गाँव के किसान अशोक खोरे के यहाँ भ्रमण कर सीखा खैरी गाँव के सर्वज्ञ दीवान तो हमेशा ही जैविक खेती के प्रयोगधर्मी किसान रहे हैं आप नाडेप, कच्चा नाडेप, वर्मीकम्पोस्ट जीवामृत कल्चर आदि खाद का प्रयोग घर बनाकर तो करते ही हैं साथ ही गाय, बैल के मरने के बाद उसे बाहर न फेंककर जमीन में गाड़ देते हैं जिसके ऊपर से नमक एवं गोबर डाल देते है।