विश्वेदेव वाक्य
उच्चारण: [ vishevedev ]
उदाहरण वाक्य
- विष्णुपुराण में कहा गया है-श्रद्धा तथा भक्ति से किए गए श्राद्ध से पितरों के साथ ब्रह्मा, इन्द्र, रुद्र दोनों अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, आठों बसु, वायु, विश्वेदेव, पितृगण, पक्षी, मनुष्य, पशु, सरीसृप, ऋषिगण तथा अन्य समस्त भूत प्राणी तृप्त होते हैं।
- गंधर्वयक्षासुरसिद्धसङ् घावीक्षन्ते त्वां विस्मिताश्चैव सर्वे ॥ भावार्थ: जो ग्यारह रुद्र और बारह आदित्य तथा आठ वसु, साध्यगण, विश्वेदेव, अश्विनीकुमार तथा मरुद्गण और पितरों का समुदाय तथा गंधर्व, यक्ष, राक्षस और सिद्धों के समुदाय हैं-वे सब ही विस्मित होकर आपको देखते हैं॥ 22 ॥ रूपं महत्ते बहुवक्त्रनेत्रंमहाबाहो बहुबाहूरूपादम् ।
- विष्णु पुराण के अनुसार श्रद्धा भाव से अमावस्या का उपवास रखने से पितृ्गण ही तृ्प्त नहीं होते, अपितु ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, अष्टवसु, वायु, विश्वेदेव, ऋषि, मनुष्य, पशु-पक्षी और सरीसृप आदि समस्त भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते है.
- प्रतिपदा को किए जाने वाले व्रत के देवता अग्नि, द्वितीया के ब्रह्मा, तृतीया की गौरी, चतुर्थी के विनायक, पंचमी के सर्प, षष्ठी के स्कंद, सप्तमी के सूर्य, अष्टमी के शिव, नौवीं की दुर्गा, दशमी के यम, एकादशी के विश्वेदेव, द्वादशी के हरि नारायण, त्रयोदशी के रतिपति कामदेव, चतुर्दशी के शिव, पूर्णमासी के चंद्रदेव और अमावस्या को किए जाने वाले व्रत के आराध्य पितर हैं।।