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विष्णुधर्मोत्तर पुराण वाक्य

उच्चारण: [ visenudhermotetr puraan ]

उदाहरण वाक्य

  1. विष्णुधर्मोत्तर पुराण के चित्रसूत्र, मूर्तिशास्त्र तथा संस्कृत नाटकों के गहन अध्ययन ने उनमें मिथकीय इमेजरी की विराट और विशिष्ट समझ, संवेदना और सौंदर्य-दृष्टि के विकास में एक ठोस आधारभूमि का काम किया।
  2. भारतीय पंचांग के पांच तत्व इस प्रकार हैं-1. वार: सूर्य सिद्धांत के अनुसार दिन का प्रारंभ अर्धरात्रि से माना जाता है, जबकि विष्णुधर्मोत्तर पुराण, आर्यभट्ट प्रथम, ब्रह्मगुप्त तथा भास्कराचार्य सूर्योदय से दिन का प्रारम्भ मानते हैं।
  3. विष्णुधर्मोत्तर पुराण की कथा है कि इन्द्र वृत्रासुर के मारने से लगी हुई ब्रह्म-हत्या के भय से भयभीत हुआ जब विषतन्तु में छिप गया तो इन्द्रलोक में अराजकता से दुःखी देवताओं ने प्रभु त्रैलोकनाथ की प्रार्थना की, तब भगवान् ने कहा-यजतां सोश्वमेधेन मामेवसुरसत्तमाः ।
  4. 349) आगे लिखते हैं कि “ The type in a modified form was similar to Baldeva, one of whose aspect is based on a trait of this primitive folk cult ” ज्ञात रहे कि विष्णुधर्मोत्तर पुराण में निर्दिश्ट अनंतनाग का प्रतिमालक्षण, बलराम के प्रतिमालक्षण से भी मेल खाता है।
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