वृन्दावन लाल वर्मा वाक्य
उच्चारण: [ verinedaaven laal vermaa ]
उदाहरण वाक्य
- इनमें डा0 वृन्दावन लाल वर्मा, रणधीर, पातीराम भट्ट न्यादर सिंह ‘बेचैन', चतुर्भुज, हरिकृष्ण प्रेमी इत्यादि का नाम उल्लेखनीय है जिन्होंने रानी लक्ष्मीबाई के महान चरित्र को रंगमंच पर उतारा।
- प्रेमचन्द के काल में जयशंकर ‘प्रसाद ', आचार्य चतुरसेन, भगवतीचरण वर्मा, अमृतलाल नागर, विश्वम्भर नाथ कौशिक, वृन्दावन लाल वर्मा आदि लेखकों ने उपन्यास विधा के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- प्रेमचन्द के काल में जयशंकर ' प्रसाद', आचार्य चतुरसेन, भगवतीचरण वर्मा, अमृतलाल नागर, विश्वम्भर नाथ कौशिक, वृन्दावन लाल वर्मा आदि लेखकों ने उपन्यास विधा के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- १ ९ ६ ५ में वृन्दावन लाल वर्मा ने भी इसे महसूस करते हुए लिखा था, ' फिल्म का प्रभाव दर्शक-श्रोता पर बहुत शीघ्र और गहरा पड़ता है.
- वे एक ओर वृन्दावन लाल वर्मा, प्रेमचंद और नागर जी पर लिख रहे थे तो दूसरी ओर बंगला के कृती पुरुषों रवीन्द्र और शरत् पर भी बेहद बेबाक ढंग से सोच रहे थे।
- प्रेमचन्द के काल में जयशंकर ' प्रसाद ', आचार्य चतुरसेन, भगवतीचरण वर्मा, अमृतलाल नागर, विश्वम्भर नाथ कौशिक, वृन्दावन लाल वर्मा आदि लेखकों ने उपन्यास विधा के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- शरतचन्द्र, वृन्दावन लाल वर्मा के उपन्यास, धर्मयुग-साप्ताहिक हिन्दोस्तान के नए-पुराने अंक, एक छोटा सा पर्स जिसमें यहाँ-वहाँ देने के लिये कुछ पैसे, हाथ पाँव मे दर्द के लिये लगाने वाली कोई टयूब, आदि-आदि-आदि न जाने कितनी चीज़ें।
- वृन्दावन लाल वर्मा के ' गढ़ कुण्डार ' और ' मृगनयनी ' जैसे व्यापक रूप से स्वीकृत और प्रतिष्ठित उपन्यासों की वे इसलिये आलोचना करते हैं कि उनमें अंतर्जातीय प्रेम प्रसंगों और प्रायः ही विवाह में उनकी परिणति अपने युग के आरोपण के उदाहरण ही अधिक हैं।
- हिंदी के जिन कहानीकारों की कहानियों के रूसी भाषा में अनुवाद हुए हैं उनमें प्रेमचंद, वृन्दावन लाल वर्मा, यशपाल, जैनेन्द्र कुमार, भगवतीचरण वर्मा, इलाचंद्र जोशी, अमृतलाल नागर, उपेन्द्रनाथ अश्क, फणीश्वर नाथ रेणु, मोहन राकेश, रांगेय राघव, भीष्म साहनी, विष्णु प्रभाकर तथा अमृतराय उल्लेखनीय हैं।
- जिस किले की नीचले भाग में रानी मृगनयनी और राजा मानसिंह का प्रेम परवान चढ़ा था जिसे वृन्दावन लाल वर्मा ने अपनी लेखनी से हम तक पहुंचाया था उसी किले में न जाने कितने लोगों को तहखाने में फाँसी पर लटका दिया गया और न जाने कितने लोगों को विवश मरने के लिए छोड़ दिया गया।