वैशंपायन वाक्य
उच्चारण: [ vaishenpaayen ]
उदाहरण वाक्य
- अक्षौहिणी का अर्थ सुत पुत्र वैशंपायन बोले ‘‘ एक रथ, एक हाथी, पांच पैदल मनुष्य और तीन रथों को ‘ पत्ति ‘ कहा जाता हे, विद्वान तीन पत्तियों का एक सेनामुख और तीन सेनामुखों का एक गुल्म कहते हैं.
- गुरू की आज्ञा सुनकर याज्ञवल्क्य ने अपने सारी विद्या जो गुरू से प्राप्त कि होती है उगल देते हैं जिसे, वैशंपायन के अन्य शिष्यों ने तीतर बनकर चुग लिया यजुर्वेद की वही शाखा जो तीतर बनकर ग्रहण की गयी थी, तैत्तिरीय शाखा के नाम से विख्यात होती है.
- वह यशपाल के लेखन पर तो छींटाकशी करते ही हैं, दिनमान के दौरान उन्होंने वैशंपायन और धर्मेंद्र गौड़ के इस आशय के लेख छापे थे पर जब यशपाल ने उन्हें कानूनी कार्रवाही की धमकी दी तो उन्हें यशपाल का पक्ष भी यथावत छाप कर विवाद को बंद करना पड़ा था ।
- पश्चात् उन ऋषियों को जैसे-याज्ञवल्क्य, भृगु, पाराशर, नारद, वेदव्यास, सनक-सनंदन, सनत्कुमार, शुक, शौनक, विश्वामित्र, वसिष्ठ, वाल्मीकि, वामदेव, जैमिनी, वैशंपायन, नव योगींद्, इत्यादि तथा आधुनिक सन्त जैसे-निवृति, ज्ञानदेव, सोपान, मुक्ताबाई, जनार्दन, एकनाथ, नामदेव, तुकाराम, कान्हा, नरहरि आदि को नमन करते हैं ।