श्री गुरु गोविन्द सिंह वाक्य
उच्चारण: [ sheri gauru gaovined sinh ]
उदाहरण वाक्य
- हमारा तर्क बड़ा ही सीधा-सरल था... हम बोले.... जहाँ तक हम जानते हैं ' सिख ' का अर्थ होता है ' शिष्य ', श्री गुरु गोविन्द सिंह जी..
- यह सवैया सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह जी की रचना है, जिसे दशम् ग्रंथ, अथवा श्री दशम् ग्रंथ साहिब के खंड 'चंडी चरित्र उक्ति बिलास' में स्थान दिया गया है...
- पटना, बिहार में जन्मे श्री गुरु गोविन्द सिंह (दिसम्बर २२,१६६६-७ अक्टूबर १७०८) जी सिखों के दसवें गुरु थे जिनके बाद ग्यारहवें और अन्तिम गुरु के रूप में गुरु ग्रन्थ साहिब की स्थापना हुई थी.
- सिख संगत के प्रयास से ही दो साल पूर्व श्री गुरु गोविन्द सिंह द्वारा औरंजगेब को लिखे गये पत्र “जफरनामा” पर नई दिल्ली में संगोष्ठी हुई और उसका हिन्दी अनुवाद भी पुस्तकाकार में प्रकाशित किया गया।
- सिख संगत के प्रयास से ही दो साल पूर्व श्री गुरु गोविन्द सिंह द्वारा औरंजगेब को लिखे गये पत्र “जफरनामा” पर नई दिल्ली में संगोष्ठी हुई और उसका हिन्दी अनुवाद भी पुस्तकाकार में प्रकाशित किया गया।
- यहाँ तक स्वयं खालसा-पंथ के प्रवर्तक श्री गुरु गोविन्द सिंह जी ने भी नियमों एवं परम्परा का पालन किया ' ' प्रथम पञ्च-प्यारों को अमृत छकाने के बाद उन्होंने उन उनके हाथ से अमृत-पान खालसा साज सजाया था ।
- खालसा पंथ के सर्जक व हिन्दू धर्म रक्षक श्री गुरु गोविन्द सिंह जी के जन्मदिवस के उपलक्ष में अम्बाला छावनी के रोटरी मूक बधिर विद्यालय के प्रांगण में एक विचार-साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया | मुख्य वक्ता डा. रतन सिंह ढिल्लों, डा.
- गुरमुखी या संत भाषा में लिखे इस आदि ग्रन्थ के ३०० वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य विश्व भर में बसे सभी सिख मित्रों और उनके परिवारों को आवाज़ परिवार बधाइयाँ संप्रेषित कर रहा है, श्री गुरु गोविन्द सिंह जी के लिखे इस प्रार्थना के साथ, जिसका संगीत तैयार किया है
- आज के दिन यदि हम श्री गुरु गोविन्द सिंह के जीवन के आदर्शों को, देश, समाज और मानवता की भलाई के लिए उनके समर्पण को अपनी प्रेरणा का स्रोत बनाऐं और उनके बताये गए रास्ते पर निष्ठापूर्वक चलें तो कोई कारण नहीं कि देश के अन्दर अथवा बाहर से आए आतंकवादी और हमलावर हमारा कुछ भी बिगाड़ सकें।
- आज के दिन यदि हम श्री गुरु गोविन्द सिंह के जीवन के आदर्शों को, देश, समाज और मानवता की भलाई के लिए उनके समर्पण को अपनी प्रेरणा का स्रोत बनाऐं और उनके बताये गए रास्ते पर निष्ठापूर्वक चलें तो कोई कारण नहीं कि देश के अन्दर अथवा बाहर से आए आतंकवादी और हमलावर हमारा कुछ भी बिगाड़ सकें।