संगीत रत्नाकर वाक्य
उच्चारण: [ sengait retnaaker ]
उदाहरण वाक्य
- भरत् नाट्य शास्त्र के बाद शारंगदेव रचित संगीत रत्नाकर, ऐतिहासिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।
- {संगीत रत्नाकर} के अनुसार-“ विशिष्ट-वर्ण-सन्दर्भमलंकार प्रचक्षते ” अर्थात, नियमित वर्ण समूह को अलंकार कहते हैं ।
- संगीत रत्नाकर ' के अनुसार गीतं वाद्य तथा नृत्य त्रयं सगीतमुच्यते-अर्थात् गीत, वाद्य और नृत्य-इन तीनों का समुच्चय ही संगीत है।
- यहीं पर महान साधक शारंगदेव ने उनकी अमूल्य संगीत रचना संगीत रत्नाकर लिखी, और महान पखावज वादक गोपालनायक ने राग देवगिरी बिलावल की रचना की।
- संगीत रत्नाकर की मानें तो वे जिस वंश परम्परा के थे वह न केवल विचारशील और विद्वान पंरपरा थी बल्कि उनकी प्रतिभा कई आयामों में विराट थी।
- क्या है संगीत रत्नाकर? देवगिरी के संगीत इतिहास का आज क भी नहीं जानने वाले समय में शारंगदेव द्वारा रचे गये संगीत रत्नाकर को भारतीय संगीत का प्राण कहा जाता है।
- क्या है संगीत रत्नाकर? देवगिरी के संगीत इतिहास का आज क भी नहीं जानने वाले समय में शारंगदेव द्वारा रचे गये संगीत रत्नाकर को भारतीय संगीत का प्राण कहा जाता है।
- संगीत रत्नाकर में कई तालों का उल्लेख है व इस ग्रंथ से पता चलता है कि प्राचीन भारतीय पारंपरिक संगीत में अब बदलाव आने शुरू हो चुके थे व संगीत पहले से उदार होने लगा था।
- संगीत रत्नाकर में कई तालों का उल्लेख है व इस ग्रंथ से पता चलता है कि प्राचीन भारतीय पारंपरिक संगीत में अब बदलाव आने शुरू हो चुके थे व संगीत पहले से उदार होने लगा था।
- इसी महान कला प्रेमी ज्ञानप्रिय, और आयुर्वेद प्रियंकर सिंघणदेव के शासन में महालेखापाल पर रहते हुये संगीत के महान संगीतकार और संगीत तपस्वी शारंगदेव ने भारतीय संगीत के प्राणों यानी कि संगीत रत्नाकर की रचना की।