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संध्योपासना वाक्य

उच्चारण: [ sendheyopaasenaa ]

उदाहरण वाक्य

  1. इन्हें कार्य क्षेम रखने के लिए युक्ताहार विहार के साथ प्राणायामादि के साथ यज्ञादि संध्योपासना प्राणों को ओजस्वी बनाने के सफल साधन बनते हैं
  2. इन्हें कार्य क्षेम रखने के लिए युक्ताहार विहार के साथ प्राणायामादि के साथ यज्ञादि संध्योपासना प्राणों को ओजस्वी बनाने के सफल साधन बनते हैं.
  3. आज भी जो साधक संध्योपासना के समय गायत्री जप से पूर्व एवं बाद में इन मुद्राओं को करते हैं वह प्रखर विद्वता के धनी बन जाते हैं।
  4. आज भी जो साधक संध्योपासना के समय गायत्री जप से पूर्व एवं बाद में इन मुद्राओं को करते हैं वह प्रखर विद्वता के धनी बन जाते हैं।
  5. तब सिद्ध हुआ की संध्योपासना के चार प्रकार है-(1) प्रार्थना, (2) ध्यान, (3) कीर्तन और (4) पूजा-आरती।
  6. सूतक (संतान के जन्म लेने पर होनेवाली अशुचिता), अशौच (मृत्यु से होनेवाली अशुचिता), उन्माद, रोग और भय आदि कोई बाधा न हो तो प्रतिदिन ही संध्योपासना करनी चाहिए ।
  7. हे राजन्! बुध्दिमान पुरुष को चाहिए कि सायंकाल के समय सूर्य के रहते हुए और प्रातःकाल तारागण के चमकते हुए ही भलीप्रकार आचमनादि करके विधिपूर्वक संध्योपासना करे ।
  8. इन्होंने नवीन सृष्टि तथा त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग आदि भेजने और ब्रह्मर्षि पद प्राप्त करने-सम्बन्धी जो भी असम्भव कार्य किये, उन सबके पीछे गायत्री-जप एवं संध्योपासना का ही प्रभाव था।
  9. सूतक (संतान के जन्म लेने पर होनेवाली अशुचिता), अशौच (मृत्यु से होनेवाली अशुचिता), उन्माद, रोग और भय आदि कोई बाधा न हो तो प्रतिदिन ही संध्योपासना करनी चाहिए ।
  10. और्व मुनि राजा सगर से कहते हैं: ”हे राजन्! बुध्दिमान पुरुष को चाहिए कि सायंकाल के समय सूर्य के रहते हुए और प्रातःकाल तारागण के चमकते हुए ही भलीप्रकार आचमनादि करके विधिपूर्वक संध्योपासना करे ।
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