सदाशिवराव भाऊ वाक्य
उच्चारण: [ sedaashiveraav bhaaoo ]
उदाहरण वाक्य
- इतिहासकारों के अनुसार सदाशिवराव भाऊ की सेना में 15, 000 पैदल सैनिक व 55,000 अश्वारोही सैनिक शामिल थे और उसके पास 200 तोपें भी थीं।
- सदाशिवराव भाऊ के अनुचित व्यवहार के कारण उन्होंने पानीपत के युद्ध में उसे पूरा सहयोग न दिया पर उसके विनाशकारी परिणामों से मराठा साम्राज्य की रक्षा की।
- यदि सदाशिवराव भाऊ महाराजा सूरजमल की सलाह मान गुरिल्ला युद्ध ठान लेते तथा प्रतापी जाट राजा को अपमानित नहीं करते, तो भारतवर्ष का इतिहास ही दूसरा होता ।
- 14 जनवरी, 1761 को सुबह 8 बजे मराठा सेनापति सदाशिवराव भाऊ ने तोपों की भयंकर गर्जना के साथ अहमदशाह अब्दाली का मुँह मोड़ने के लिए धावा बोल दिया।
- पहली किवदन्ती यह है कि सदाशिवराव भाऊ पानीपत की इस जंग में शहीद हो गए थे और उसका सिर कटा शरीर तीन दिन बाद लाशों के ढ़ेर में मिला था।
- एक हरियाणवी गीत में सदाशिवराव भाऊ की माँ युद्व के लिए निकल रहे भाऊ को शनवार बाड़े की ड्योढ़ी पर रोक लेती है और अपनी चिन्ता प्रकट करते हुए कहती है-
- मराठा सेनापति सदाशिवराव भाऊ ने लिखा: ‘इन पठानों ने हिन्दुओं से कहीं ज्यादा हिन्दुस्तानी मुसलमानों को हेय समझा।' मनूसी लिखता है: ‘पठान सिन्धु नदी के पार यानी पश्चिम या उत्तर में रहते हैं।
- मराठा सेनापति सदाशिवराव भाऊ ने लिखा: 'इन पठानों ने हिन्दुओं से कहीं ज्यादा हिन्दुस्तानी मुसलमानों को हेय समझा।' मनूसी लिखता है: 'पठान सिन्धु नदी के पार यानी पश्चिम या उत्तर में रहते हैं।
- अहमदशाह के निरन्तर बढ़ते कदमों को देखते हुए मराठा सरदार पेशवा ने उत्तर भारत में पुन: मराठा का वर्चस्व स्थापित करने के लिए अपने शूरवीर यौद्धा व सेनापति सदाशिवराव भाऊ को तैनात किया और इसके साथ ही अपने पुत्र विश्वास राव को प्रधान सेनापति बना दिया।
- जिस समय अहमदशाह अब्दाली ने भारत पर १ ७ ६ १ में चतुर्थ आक्रमण किया और पेशवा के प्रतिनिधि सदाशिवराव भाऊ ने उसके आक्रमण का प्रतिशोध करने के लिए हिन्दू शक्ति का आह्वान किया, उस समय जहाँ राजपूत राजाओं ने भाऊ का साथ देने से इन्कार किया, वहां महाराजा सूरजमल अपने पचास हजार रणबांकुरों को लेकर मैदान में आ पहुंचे ।