समराथल वाक्य
उच्चारण: [ semraathel ]
उदाहरण वाक्य
- श्रधालुओं की दृष्टि में समराथल, मथुरा तथा द्वारिका में कोई अन्तर नहीं है यह स्थान अन्य अनेक नामों जैसे-सोवन नगरी, थलां, थल, संभरि आदि से भी जाना जाता है।
- मेलेकेअवसर पर सभी श्रधालुजन प्रथमतः सुबह सवेरेही निज मन्दिर मेंचढ़ावा चढ़ातेहैंतथा श्री चरणोंमेंधोक लगाकर पंक्तिबध हो समराथल पर धोक लगाकर प्रत्येक “ जातरी॔ ” बिश्नोई नीचेसेश्रधानुसार मिटटी धोरेपर लाता हैजो उनकी श्रधा व आस्था का प्रतीक है।
- विक्रम सम्वत १ ५ ४ २ में कर्तिक वदि अष्ट्मी को समराथल घोरे पर युगपुरुष्, विष्णु के अवतार एवं एक दिव्य्-अलौकिक आभा से युक्त महान विभूति श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान ने ' कलश ' स्थापना करके विशनोई धर्म की नीव डाली थी।
- समराथल पर रहते हुए इन्होंने संवत 1542 की कार्तिक वदि अमावस्या सोमवार के दिन विश्नोई संप्रदाय को बीस और नव धर्मो की शिक्षा दी और वेदों और मंत्रों द्वारा पाहाल कलश की स्थापना करके पाहाल रुपी अमृत पिलाया जब से विशनोई समाज प्रारंभ हुआ।
- मेले के अवसर पर सभी श्रधालुजन प्रथमतः सुबह सवेरे ही निज मन्दिर में चढ़ावा चढ़ाते हैं तथा श्री चरणों में धोक लगाकर पंक्तिबध हो समराथल पर धोक लगाकर प्रत्येक “ जातरी॔ ” बिश्नोई नीचे से श्रधानुसार मिटटी धोरे पर लाता है जो उनकी श्रधा व आस्था का प्रतीक है।
- वैसी दशा में गुरु जम्भेश्वरजी अपनी सम्पूर्ण सम्पत्ति को परित्याग क़र विक्रमी सम्वत् 1542 में समराथल धोरे पर हरी कंकेड़ी के नीचे आसन लगाया तथा 51 वर्ष तक अमृतमयी शब्द वाणी का कथन किया तथा विभिन्न प्रकार के चमत्कार दिखाकर जड़ बुद्धि लोगों को धर्म मार्ग पर लगाकर उनका उद्धार किया।
- माता-पिता की स्वर्गवास के बाद जाम्भोजी ने अपना घर त्याग कर पवित्र समराथल धोरा (बीकानेर) आप पधारे थे / यहाँ आप ने 34 वर्ष की आयु में कार्तिक वादी आठामं (जन्मस्थ्मीं)सन् 1485 (वि सवंत १५४२) के दिन समराथल धोरे पर पवित्र पाहल बनाकर विश्नोई सम्प्रदाय की स्थापना की तथा 51 वर्ष तक वहीं पर सत्संग एवं विष्णु नाम में अपना समय गुजारते रहे।
- माता-पिता की स्वर्गवास के बाद जाम्भोजी ने अपना घर त्याग कर पवित्र समराथल धोरा (बीकानेर) आप पधारे थे / यहाँ आप ने 34 वर्ष की आयु में कार्तिक वादी आठामं (जन्मस्थ्मीं)सन् 1485 (वि सवंत १५४२) के दिन समराथल धोरे पर पवित्र पाहल बनाकर विश्नोई सम्प्रदाय की स्थापना की तथा 51 वर्ष तक वहीं पर सत्संग एवं विष्णु नाम में अपना समय गुजारते रहे।
- माता-पिता की स्वर्गवास के बाद जाम्भोजी ने अपना घर त्याग कर पवित्र समराथल धोरा (बीकानेर) आप पधारे थे / यहाँ आप ने 34 वर्ष की आयु में कार्तिक वादी आठामं (जन्मस्थ्मीं) सन् 1485 (वि सवंत १ ५ ४ २) के दिन समराथल धोरे पर पवित्र पाहल बनाकर विश्नोई सम्प्रदाय की स्थापना की तथा 51 वर्ष तक वहीं पर सत्संग एवं विष्णु नाम में अपना समय गुजारते रहे।
- माता-पिता की स्वर्गवास के बाद जाम्भोजी ने अपना घर त्याग कर पवित्र समराथल धोरा (बीकानेर) आप पधारे थे / यहाँ आप ने 34 वर्ष की आयु में कार्तिक वादी आठामं (जन्मस्थ्मीं) सन् 1485 (वि सवंत १ ५ ४ २) के दिन समराथल धोरे पर पवित्र पाहल बनाकर विश्नोई सम्प्रदाय की स्थापना की तथा 51 वर्ष तक वहीं पर सत्संग एवं विष्णु नाम में अपना समय गुजारते रहे।