साने गुरूजी वाक्य
उच्चारण: [ saan gauruji ]
उदाहरण वाक्य
- पूज्य साने गुरूजी की आन्तर भारती की संकल्पना एवं आदरणीय यदुनाथ थत्ते के मार्गदर्शक मूल्यों के आधार पर सन् 1972 से आन्तर भारती मासिक पत्रिका नियमित रूप से प्रकाशित की जा रही है।
- सभी जानते हैं कि आज जो आन्तर भारती नाम का संगठन अपनी थोडी-सी ताकत, थोड़े-बहुत संसाधन और गिने-चुने कार्यकर्ताओं के साहस के दम पर खड़ा है, वह साने गुरूजी के एक सपने को सकार करने की जद्दोजहद है।
- लगातार अध्ययन, मनन और गहन विचार-विमर्श से तथा अंततः साने गुरूजी की सलाह से प्रेरित होकर उन्होंने आर.एस.एस. को पूरी तरह त्याग कर वामपंथ की राह अपनायी और अंत तक इस पर एक मजबूत साधक और सिपाही की भाँति डटे रहे।
- प्रसिद्ध पत्रकार, प्रतिबद्ध कार्यकता, एवं आन्तर भारती के लिये समर्पित वरीष्ठ साथी श्री यदुनाथ थत्ते के पुण्य स्मरण एवं पण्ढरपुर में अछूतों के प्रवेश हेतु साने गुरूजी के सत्याग्रह की पावन स्मृति में आन्तर भारती प्रतिवर्ष कार्यक्रम का आयोजन करता है।
- लोहिया, अच्युत पटवर्धन, सादिक अली, पुरूषोत्तम टिकरम दास, मोहनलाल सक्सेना, रामनन्दन मिश्रा, सदाशिव महादेव जोशी, साने गुरूजी, कमलादेवी चट्टोपाध्याय, अरूणा आसिफअली, सुचेता कृपलानी और पूर्णिमा बनर्जी आदि नेताओं का केन्द्रीय संचालन मंडल बनाया गया।
- लगातार अध्ययन, मनन और गहन विचार-विमर्श से तथा अंततः साने गुरूजी की सलाह से प्रेरित होकर उन्होंने आर. एस. एस. को पूरी तरह त्याग कर वामपंथ की राह अपनायी और अंत तक इस पर एक मजबूत साधक और सिपाही की भाँति डटे रहे।
- पांडुरंग महादेव बापट ; भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनापति (मुलशी सत्याग्रह) कहे जाने वाले सेनापति बापट के व्यक्तित्व को जानने के लिए साने गुरूजी का कथन काफ़ी है, ” सेनापति में मुझे छत्रपति शिवाजी महाराज, समर्थ गुरू रामदास तथा संत तुकाराम कि त्रिमूर्ति दिखाई पड़ती है ।
- आन्तर भारती के कोषाध्यक्ष और पत्रकार अमर हबीब ने विषय को आगे बढ़ाते पण्ढरपुर के विट्ठल मन्दिर में अछूतों के प्रवेश हेतु साने गुरूजी द्वारा 10 मई 1950 से आरम्भ किये अनशन के बारे में जानकरी देते हुए बताया कि साने गरूजी के अनशन के कारण ही विट्ठल मन्दिर में दलितों को प्रवेश मिला।
- मुम्बई हमलों के बाद जब परस्पर अविश्वास, समाज और सरकार के प्रति असन्तोष और व्यवस्था के साथ-साथ राजनेताओं और न जाने किस-किस के प्रति आक्रोश चरम पर है, तब आन्तर भारती की भूमिका क्या है? अपनी सुन्दर पुस्तक ` भारतीय संस्कृति ' में जिस सहिष्णुता की मिसालें बार-बार साने गुरूजी दे रहे हैं, उस सहिष्णुता को एक बार फिर साकार करने की जरूरत है।
- मेरा भी छोटा मोटा रिश्ता रहा है कथा से, जो मैं आते समय देवेन्द्रभाई और सत्येन्द्र दुबे जी ‘ ये दोनों बनारस से आते हुए गाड़ी में मेंधा जी के साथ थे, से कह रही थी, कि ‘ साने गुरूजी कथा माला ‘ नाम कथा माला, हर रविवार को एक घण्टा, गरीब बस्तियों के बचों के लिए कई सालों तक चलाती थी और वहां भी यह चुनौती रहती थी कि कथा ऐसी तो होनी चाहिए कि बच्चे उठकर चलें न जाएं।