सौरपुराण वाक्य
उच्चारण: [ saurepuraan ]
उदाहरण वाक्य
- इस पुराण का प्रारंभ इस प्रकार है-सूर्यपुत्र मनु कामिका वन में यज्ञ करनेवाले प्रतर्दन राजा के यज्ञ में गया, वहाँ तत्व का विचार करनेवाले परंतु निर्णय करने में असमर्थ ऋषियों के साथ आकाशवाणी द्वारा प्रवृत्त होकर सूर्य के द्वादशादित्य नामक स्थान में जाकर सूर्यदर्शन के निमित्त तप करने लगा, हजार वर्षों के अनंतर सूर्य ने दर्शन दिए और सौरपुराण सुनाया (1, 19-45)।
- किसी किसी का मत है कि सांब, भास्कर, आदित्य, भानव और सौरपुराण एक ही ग्रंथ हैं केवल नाम भिन्न भिन्न हैं, परंतु यह कथन गलत है, क्योंकि देवी भागवत ने आदित्यपुराण से पृथक् सौर को गिना है (स्कंध 1, 3, 15) एवं सूत्रसंहिता ने सांबपुराण से भिन्न सौरपुराण गिना हैं, भास्कर और भानव ये दो पाठभेद भार्गव और भानव के स्थान में पाए जाते हैं।
- किसी किसी का मत है कि सांब, भास्कर, आदित्य, भानव और सौरपुराण एक ही ग्रंथ हैं केवल नाम भिन्न भिन्न हैं, परंतु यह कथन गलत है, क्योंकि देवी भागवत ने आदित्यपुराण से पृथक् सौर को गिना है (स्कंध 1, 3, 15) एवं सूत्रसंहिता ने सांबपुराण से भिन्न सौरपुराण गिना हैं, भास्कर और भानव ये दो पाठभेद भार्गव और भानव के स्थान में पाए जाते हैं।
- किसी किसी का मत है कि सांब, भास्कर, आदित्य, भानव और सौरपुराण एक ही ग्रंथ हैं केवल नाम भिन्न भिन्न हैं, परंतु यह कथन गलत है, क्योंकि देवी भागवत ने आदित्यपुराण से पृथक् सौर को गिना है (स्कंध 1, 3, 15) एवं सूत्रसंहिता ने सांबपुराण से भिन्न सौरपुराण गिना हैं, भास्कर और भानव ये दो पाठभेद भार्गव और भानव के स्थान में पाए जाते हैं।
- किसी किसी का मत है कि सांब, भास्कर, आदित्य, भानव और सौरपुराण एक ही ग्रंथ हैं केवल नाम भिन्न भिन्न हैं, परंतु यह कथन गलत है, क्योंकि देवी भागवत ने आदित्यपुराण से पृथक् सौर को गिना है (स्कंध 1, 3, 15) एवं सूत्रसंहिता ने सांबपुराण से भिन्न सौरपुराण गिना हैं, भास्कर और भानव ये दो पाठभेद भार्गव और भानव के स्थान में पाए जाते हैं।