स्वर्गारोहिणी वाक्य
उच्चारण: [ sevregaaarohini ]
उदाहरण वाक्य
- इसके निकट पॉडवों से संबद्ध जगह पेंरागन हैं जहां स्वर्गारोहिणी चोटी से स्वर्ग जाने के पहले पॉडवों ने 12 वर्षों तक वास किया था।
- आप इससे आगे सामने उस घाची तक भी जा सकते हैं जहॉ से स्वर्गारोहिणी की घाटी शुरू होती है लेकिन आप थक चुके हैं ।
- यह मत यह बताता है कि पांडव स्वर्ग जाते हुए स्वर्गारोहिणी यात्रा के दौरान यहां आये थे जो इस बात से प्रमाणित होता है कि यहां के लोगों की कल्पना में पांडवों, कौरवों एवं महाभारत का बड़ा महत्त्व है।
- यदि आपको वहॉ की यात्रा करनी हो तो इसके लिए भी प्रमिशन की आवश्यकता होगी उपजिलाधिकारी जोशीमठ से, और एक वार में केवल स्वर्गारोहिणी की ही यात्रा आप कर सकेंगे, क्योंकि वहॉ जाने के लिए 5 या 6 दिन चाहिए केवल जून में ही जा पायेंगे आप ।
- गौरतलब है कि मई माह से लेकर नवंबर तक करीब छह माह के दौरान इस राजमार्ग से बदरीनाथ, फूलों की द्घाटी, हेमकुंड साहिब, द्घांद्घरिया, स्वर्गारोहिणी, औली गोरसों समेत अन्य धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों को निहारने के लिए प्रत्येक वर्ष लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आवाजाही करते हैं।
- पौराणिक मान्यताओं के संदर्भ में, स्कन्दपुराण केदारखण्ड से प्राप्त वर्णन के अनुसार महाभारत काल में पाण्डवों ने युद्ध विजय के उपरान्त अपने कौरव भाईयों की हत्या के पश्चाताप हेतु अपने राज्य का त्याग करके मंदाकिनी नदी के तट पर केदारनाथ पहुंच गये तथा यहीं से स्वर्गारोहिणी के द्वारा स्वर्ग को प्रस्थान किया।
- पितरों के मोक्षधाम के लिए हिमालय पर स्वर्गारोहिणी के रास्ते अलकनंदा के किनारे बद्रीनाथ धाम के पास सिद्ध क्षेत्र ब्रह्मकपाल में पितृ मोक्ष कराकर पितृदोष व पितृण से जन्म-जन्मांतर के लिए मुक्त हो जाते हैं तथा पितृ योनि में भटकती हुई आत्मा को भी मोक्ष अर्थात् मुक्ति मिलती है और कुल वंशज को वरदान स्वरूप जो प्राप्त होता है उसके विषय में पुराणों में लिखा है...
- इसीलिए उत्तराखंड के पर्यटन मंत्रालय को एक महत्वपूर्ण ‘ पांडव पर्यटन सर्किट ' का प्रस्ताव भेजा है, जो कालसी के पास राजा विराट के किले ; जिसके महल में पांडवों ने नौकर बनकर एक साल का अज्ञातवास बिताया थाद्ध से शुरू होकर लाखामंडल ; लाक्ष्या गृहद्ध, पिफर रवाईं के कई गांव जहां पांडव आज भी लोगों के शरीर में प्रकट होते हैं, उसके बाद पफतेपर्वत में कर्ण व दुर्योधन के मंदिर जखोल होते हुए हरकीदून स्थित स्वर्गारोहिणी पर यात्रा का समापन होगा।