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स्वामीनारायण सम्प्रदाय वाक्य

उच्चारण: [ sevaaminaaraayen semperdaay ]

उदाहरण वाक्य

  1. इस सिद्धांत के अनुसार संप्रदाय ने गोलोक को एक सर्वोच्च स्वर्ग या निवास (वास्तव में, अपने कुछ मंदिरों में जैसे मुम्बई मंदिर में स्थापित मूर्तियां श्री गौलोकविहारी और राधिकाजी की हैं) के रूप में अलग रखा है, क्योंकि माना जाता है कि वहां कृष्ण अपनी गोपियों के साथ आनंद लेते हैं, जो स्वामीनारायण सम्प्रदाय के अनुसार वे ग्वालिनें हैं जिनके साथ कृष्ण नाचे थे;
  2. [37] इस सिद्धांत के अनुसार संप्रदाय ने गोलोक को एक सर्वोच्च स्वर्ग या निवास (वास्तव में, अपने कुछ मंदिरों में जैसे मुम्बई मंदिर में स्थापित मूर्तियां श्री गौलोकविहारी और राधिकाजी की हैं) के रूप में अलग रखा है, क्योंकि माना जाता है कि वहां कृष्ण अपनी गोपियों के साथ आनंद लेते हैं,[38] जो स्वामीनारायण सम्प्रदाय के अनुसार वे ग्वालिनें हैं जिनके साथ कृष्ण नाचे थे;
  3. ज्ञातव्य हो कि मुक्तिनाथ स्वामीनारायण सम्प्रदाय के प्रवर्तक पूज्य स्वामीनारायण की तपस्थली है | मुक्तिनाथ तीर्थयात्रा सम्पूर्ण कष्टों से मुक्ति, शोक से रहित करनेवाला, सुख, समृद्धि, शांति प्रदान करने वाली है | हिन्दू धर्म की मान्यताओं में चार धाम की पूर्णता मुक्तिनाथ की यात्रा के बाद ही माने जाने की परंपरा रही है | इसी पुनायादयिनी, सदानीरा, गण्डकी (नारायणी) के गर्भ से नारायण स्वरुप भगवान् शालिग्राम प्रादुर्भूत होते है| अतएव प्रत्येक हिन्दू पुण्य दायिनी मोक्ष दायिनी नारायणी के तट पर अवस्थित तीर्थ क्षेत्रो का दर्शन करना चाहता है |
  4. [37] इस सिद्धांत के अनुसार संप्रदाय ने गोलोक को एक सर्वोच्च स्वर्ग या निवास (वास्तव में, अपने कुछ मंदिरों में जैसे मुम्बई मंदिर में स्थापित मूर्तियां श्री गौलोकविहारी और राधिकाजी की हैं) के रूप में अलग रखा है, क्योंकि माना जाता है कि वहां कृष्ण अपनी गोपियों के साथ आनंद लेते हैं, [38] जो स्वामीनारायण सम्प्रदाय के अनुसार वे ग्वालिनें हैं जिनके साथ कृष्ण नाचे थे ; उनके साथ कृष्ण का संबंध भगवान और भक्त के प्रतिदान संबंध का प्रतीक है.
  5. ज्ञातव्य हो कि मुक्तिनाथ स्वामीनारायण सम्प्रदाय के प्रवर्तक पूज्य स्वामीनारायण की तपस्थली है | मुक्तिनाथ तीर्थयात्रा सम्पूर्ण कष्टों से मुक्ति, शोक से रहित करनेवाला, सुख, समृद्धि, शांति प्रदान करने वाली है | हिन्दू धर्म की मान्यताओं में चार धाम की पूर्णता मुक्तिनाथ की यात्रा के बाद ही माने जाने की परंपरा रही है | इसी पुनायादयिनी, सदानीरा, गण्डकी (नारायणी) के गर्भ से नारायण स्वरुप भगवान् शालिग्राम प्रादुर्भूत होते है | अतएव प्रत्येक हिन्दू पुण्य दायिनी मोक्ष दायिनी नारायणी के तट पर अवस्थित तीर्थ क्षेत्रो का दर्शन करना चाहता है |
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