९/११ वाक्य
उच्चारण: [ 9/11 ]
उदाहरण वाक्य
- इतिहास-इक पल छिन ने वह मौक़ा मुहैया करवाया है जब मुस्लिम भाई आलमी स्तर पर कुछ पड़ोसी मुल्कों द्वारा जतन से बनाई उनकी गलत छवि को बदल सकतें हैं. ९/११ तथा २६ /७ के सिंड्रोम से आने का यह मौक़ा है और ऐसे अवसर बारहा नहीं आते ।
- क्या हम अफगानिस्तान और इराक़ की परिस्थितियों को अनदेखा कर दें, इस पर गौर न करें के इन दोनों देशों को किस प्रकार तबाह किया गया, क्या यह सच हमारे सामने नहीं है के ९/११ के बाद आतंकवाद पर नियंत्रण पाने के बहने अफगानिस्तान और इराक़ को तबाह कर दिया गया?
- यह एक वास्तविक रुग्णता है जिसकी चपेट में कोई भी प्राणि एक व्यक्तिगत और आकस्मिक हादसा होने, प्राकृतिक विनाशलीला देखने के बाद फौरी तौर पर कुछ समय के लिए आ सकता है.फिर चाहे वह ९/११ (विश्व-व्यापार केंद्र)हो या ११/२६ (२६ नवम्बर का मुंबई के ताजमहल में आतंकी वारदात)।
- साथ ही में उसके जरिये यह बात भी बताई गयी कि चाहे कुछ भी हो जाये, आतंकवाद को किसी भी तर्क से जायज़ नही ठहराया जा सकता, जबकी बडी ही दुख की बात थी कि ९/११ के बाद ख्वामख्वाह मुसलमानों को तकलीफ़ों को झेलना पडा, और अमरीकी सरकार को अधिकतर इनोसेंट लोगों को छोडना पडा.
- फ़िर भी हम बात करते हैं सर्वशक्तिमान बनने की, अमेरिका की बराबरी करने की,अरे, हमें तो किसी गटर में डूब मरना चाहिए.क्या आपको नहीं पता है कि ९/११ के बाद अमेरिका में जिहाद के नाम पर पटाखे तक नही फूटे वहीँ इस दरम्यान हमारे देश में तकरीबन १२०० लोग जिहाद के नाम पर हलाक हो गए.ये फर्क है सर्वशक्तिमान अमेरिका और शेखचिल्ली सा ख्वाब सजाये हिन्दुस्तान में.
- लेकिन कौन से प्रयास, कब तक और कैसे? आप कल्पना करें कि ९/११ के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के हमलों के मामले में कोई हिंदुस्थानी ठीक वही भूमिका निभाता जो २६/११ के मामले में हेडली ने निभाया,आप कल्पना कर सकते हैं कि हिन्दुस्थान में साम्यवादिओं की अमेरिका वरोधी सरकार के सत्तारूढ़ रहते हुए भी क्या हम उस अभियुक्त के प्रत्यर्पण को हिंदुस्थानी कानूनों का हवाला देकर अमेरिका को टाल सकते थे?
- लुधियाना. पहले भारतीयों के लिए 9/11 के मायने कुछ और थे, लेकिन वल्र्ड ट्रेड सेंटर पर हमले (9/11) के बाद इस तारीख के मायने बदल गए। ९/११ की तारीख भारतीय इतिहास में सुनहरे अक्षरों से दर्ज है। क्योंकि इसी तारीख को स्वामी विवेकानंद शिकागो में एक तेजस्वी भाषण दिया था। उसे सेलिब्रेट करते हैं। ये सेलिबे्रशन विवेकानंद के हजारों अमेरिकी अनुयाई भी करते थे। बुधवार को लुधियाना में इसके उपलक्ष्य में कई मैराथन का आयोजन किया।
- आशीष नंदी का एक साक्षात्कार, मुख्यधारा मीडिया में ९/११ के भारतीय प्रति-हस्ताक्षर बन चुके ‘२६/११' को पढने का यत्न करता हुआ अश्वनी कुमार का निबंध और महात्मा गाँधी के अंतिम दिनों के बारे में सुधीर चन्द्र की ताजा, अप्रकाशित पुस्तक के कुछ अंश.यह अंक, अपनी प्रस्तावित योजना के अनुसार आतंक के अनुभव पर एकाग्र है और शीर्ष कथा के पहले दो मज़मून ऐसे विमर्श के उदहारण हैं जिसके केंद्र में आतंक के सबसे हिंसात्मक सार्वजनिक प्रदर्शन-आतंकवाद-के पीड़ित हैं.