अनेकान्तवाद वाक्य
उच्चारण: [ anaanetvaad ]
उदाहरण वाक्य
- सतीप्रथा, बलिप्रथा, बलात्कार आदि कुरीतिओं को बंद कराया और सत्य, अहिंसा, अचोर्य, ब्रह्मचर्य एवं अप्रग्रह-अनेकान्तवाद-श्याद्वाध का सिधांत पालन करने का उपदेश दिया
- अपेक्षा-बोध: नयज्ञान-अनेकान्तवाद पि छले लेखों में हमने अनेकांत का भावार्थ समझने का प्रयास किया कि किसी भी कथन के अभिप्रायः को समझना आवश्यक है।
- ' तत्वार्थराजवार्तिक ' में जैन धर्म एवं दर्शन के विभिन्न पक्षों के विवेचन मिलते हैं तथा ' अष्टशती ' में पिशेष रूप से अनेकान्तवाद का प्रतिपादन हुआ है।
- आचार्य सिद्धसेन ने कहा है कि लोगों के उस आद्वितीय गुरु अनेकान्तवाद को हम नमस्कार करते हैं, जिसके बिना उनका व्यवहार किसी तरह भी नहीं [...]
- उनके प्रमुख वचन हैं अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह और अनेकान्तवाद जिसके द्वारा आज हमारे समाज और देश में फैल रही बुराईयों को जड़ से मिटाया जा सकता है।
- आचार्य सिद्धसेन ने कहा है [1] कि लोगों के उस आद्वितीय गुरु अनेकान्तवाद को हम नमस्कार करते हैं, जिसके बिना उनका व्यवहार किसी तरह भी नहीं चलता।
- और इस प्रकार गीता में ' कृष्ण ' अनेकान्तवाद के कारण, यानि ' माया ' को स्वयं, अर्थात अपने विराट रूप, निराकार ब्रह्म द्वारा जनित बताते हैं...
- एकान्तवाद और अनेकान्तवाद के सिद्धांतों को समझने के पश्चात पदार्थ (पद के अर्थ को पदार्थ कहते हैं, यह matter नहीं है) की निष्पत्ति सही ढंग से हो सकेगी.
- भगवान महावीर ने संसार को अनेकान्तवाद का आदर्श पाठ सिखाया यानी मैं जो कह रहा हूं वो भी सत्य है और जो दूसरे कह रहे हैं वो भी सत्य हो सकता है।
- एक जैन होने के नाते, बचपन में मैं पाठशाला (जैनीज़म की स्कूल) जाती थी और पिताजी से जैन धर्मं के सिद्धांत सुनती थी-जैसे, स्यादवाद, अनेकान्तवाद, भावना।