अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध वाक्य
उच्चारण: [ ayodheyaa sinh upaadheyaay heriaudh ]
उदाहरण वाक्य
- जब किसी ढब से निकल गया तिनका, तब 'समझ ' ने यों मुझे ताने दिए, ऐंठता तू किसलिए इतना रहा, एक तिनका है बहुत तेरे लिए ढब-तरीका कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध नीचे के प्लेयर से यह कविता सुनिए-
- जहां एक तरफ रवींद्र नाथ टैगोर की डेढ़ सौवीं वर्षगांठ मनायी जा रही है वहीं इस कला भवन के ओपेन थिएटर में रवींद्र नाथ टैगोर सहित अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध जैसी हस्तियों के आदम कद तैल चित्र के चीथड़े दीवारों पर टंगे हैं तो वहीं महात्मा गांधी और अशोक की लाट धूल फांक रही हैं।
- जहां एक तरफ रवींद्र नाथ टैगोर की डेढ़ सौवीं वर्षगांठ मनायी जा रही है वहीं इस कला भवन के ओपेन थिएटर में रवींद्र नाथ टैगोर सहित अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध जैसी हस्तियों के आदम कद तैल चित्र के चीथड़े दीवारों पर टंगे हैं तो वहीं महात्मा गांधी और अशोक की लाट धूल फांक रही हैं।
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- पेशेवराँ जफ़र-उर्रहमान अब्बासी गजले किसी को ज़िंदगी में जानना आसाँ नहीं होतारमेश तैलंग जहाँ उम्मीद थी ज़्यादा वहीं से खाली हाथ आएरमेश तैलंग तबीयत में न जाने ख़ाम ऐसी कौन सी शै है हंसराज रहबर मेरे जज़्बात में जब भी कभी थोड़ा उबाल आयारमेश तैलंग पत्र पगली का पत्र अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध पिता के पत्र पुत्री के नामजवाहरलाल नेहरू मुकेश कुमार जैन के नाम पत्रशमशेर बहादुर सिंह मार्कंडेय के नाम तीन लेखकों के पत्रमार्कंडेय मित्र संवाद केदारनाथ अग्रवाल रूस के पत्र रवीं