अल्लाह जिलाई बाई वाक्य
उच्चारण: [ alelaah jilaae baae ]
उदाहरण वाक्य
- मैंने जब राजस्थांनी लोक संगीत की सर्वाधिक चर्चित गायिका अल्लाह जिलाई बाई आवाज में मूमल सुना था तब से ही मैं इस जगह आना चाहता था................ काली रे काली काजलिये रे रेख जी कोई भूरो बादल में चमके बीजली रंग भीणी ऐ मूमल हाले तो ले चालूँ अमराणे रे देस रे.............
- जयपुर – उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, इलाहाबाद की ओर से दो दिवसीय मांड समारोह शुक्रवार को बीकानेर के टाउन हॉल में शुरू हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि यातायात मंत्री श्री वीरेन्द्र बेनीवाल ने कहा कि अल्लाह जिलाई बाई ने मांड को विश्व स्तर पर पहुंचाया। ‘ केसरिया बालम आवौ नीं पधारौ म्हारै देस और ‘ जंगल []
- नगर विकास न्यास के सचिव हनुमान सिंह शेखावत ने बताया कि राजस्थान गद्य साहित्य के लिए एल. पी.तैस्सीतोरी, राजस्थान पद्य के लिए पीथल पुरस्कार,, पदमश्री अल्लाह जिलाई बाई संगीत, पद्मश्री हिस्सामूदीन उस्ता कला, डॉ.करणी सिंह खेल, उद्योगश्री पुरस्कार उद्योग जगत, स्वामी कृष्णानंद समाज सेवा, मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी भाषा, अन्य भाषा पुरस्कार(उर्दू, सिंधी, पंजाबी आदि) तथा नाट्यकर्मी पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
- इन क्षेत्रों में प्रचलित सभी गीत-नृत्य शैलियां बीकानेर में प्रचलित रहीं, परन्तु इसके साथ-साथ यहां के उल्लेखनीय संगीत-नृत्य में 'सिद्धों का अग्नि नृत्य‘ पद्मश्री अल्लाह जिलाई बाई की माड प्रस्तुति, श्री माधवसिंह का कच्छी घोडी नृत्य, रम्मत का नाट्य संगीत निर्गुण वाणी ने अपनी अलग पहचान बनाई है जो संगीत जगत के लिए अनुकरणीय उपलब्धि कही जा सकती है।
- मैं जल्दी से हरि को ड्राइंग रूम में ले गया जहां पंखा लगा हुआ था, एक खिड़की में खस की टट्टी लगी हुई थी और रेडियो पर धीमी धीमी आवाज़ में अल्लाह जिलाई बाई का गाया लोक गीत बज रहा था “ थांने पंखियो झलाऊँ सारी रैन जी म्हारा मीठा मारू.......... ” वो गाना तो नहीं पर फिलहाल अल् लाह जिलाई बाई को यहां सुनिए
- मैं जल्दी से हरि को ड्राइंग रूम में ले गया जहां पंखा लगा हुआ था, एक खिड़की में खस की टट्टी लगी हुई थी और रेडियो पर धीमी धीमी आवाज़ में अल्लाह जिलाई बाई का गाया लोक गीत बज रहा था “थांने पंखियो झलाऊँ सारी रैन जी म्हारा मीठा मारू..........” वो गाना तो नहीं पर फिलहाल अल्लाह जिलाई बाई को यहां सुनिए बीकानेर में रेडियो स्टेशन सन १९६२ में खुल गया था.घर में रेडियो तभी आ गया था मगर रेडियो उन दिनों ड्राइंग रूम की शोभा हुआ करता था.
- मैं जल्दी से हरि को ड्राइंग रूम में ले गया जहां पंखा लगा हुआ था, एक खिड़की में खस की टट्टी लगी हुई थी और रेडियो पर धीमी धीमी आवाज़ में अल्लाह जिलाई बाई का गाया लोक गीत बज रहा था “थांने पंखियो झलाऊँ सारी रैन जी म्हारा मीठा मारू..........” वो गाना तो नहीं पर फिलहाल अल्लाह जिलाई बाई को यहां सुनिए बीकानेर में रेडियो स्टेशन सन १९६२ में खुल गया था.घर में रेडियो तभी आ गया था मगर रेडियो उन दिनों ड्राइंग रूम की शोभा हुआ करता था.