अशोक के फूल वाक्य
उच्चारण: [ ashok k ful ]
उदाहरण वाक्य
- अशोक के पेड़ की चर्चा हुई तो सुंदरियों के पाद-प्रहार से उसके फूल उठने की कहानी भी कही गई, जिसका आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने ‘ अशोक के फूल ' में वर्णन किया है।
- कोई कुसुंभी रंग से रंगे हुए दुकूल धारण करती थी तथा कोई-कोई कानों में नए कर्णिकार के फूल, नील अलकों में लाल अशोक के फूल तथा स्तनों पर उत्फुल्ल नवमल्लिका की माला पहनती थी।
- उनके निबंधों में आलोक पर्व, कल्पलता, प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद, देवदास, कुटज, अशोक के फूल आदि को पढ़ते हुए अक्सर ऎसा लगा कि द्विवेदी जी के निबंधों को प्रत्येक रचनाकारों को अवश्य पढ़ना चाहि ए.
- यह किसी प्रेमदिवाने की लेखनी है जी, किसी प्रेमजले ने लिखी होती तो सुन्दरियों के पदाघात से अशोक के फूल झड़ जाते, अमलतास स्त्रियों के नृत्य से बांझ हो जाता, स्त्रियों की गलबहियाँ से कुरबक प्राण त्याग देता.............. आदि-आदि ।
- अपने एक ओर प्रसिद्ध लेख अशोक के फूल में वे लिखते हैं-जब हम देखते हैं कि ग्रन्थ पढने के कारण हमारे घरों के निकट जो चमार, धीवर, कोरी, कुम्हार आदि लोग रहते हैं, उनका पूरा परिचय पाने के लिए हमारे हृदय में जरा सी भी उत्सुकता उत्पन्न नहीं होती, तब अच्छी तरह से समझ में आ जाता है कि पुस्तकों के सम्बंध में कितना अंधविश्वास हो गया है।
- मेरी रुचि अचानक ही इन वृक्षों के सम्बन्ध में बहुत कुछ जानने की तरफ हो गयी, और अपने आस-पास इनमें से कुछ वृक्षों को देखकर मन कल्पनाजनित वही दृश्य देखने लगा जिनमें सुन्दरियों के पदाघात से अशोक के फूल खिल रहे हों,अमलतास स्त्रियों के नृत्य से पुष्पित हो रहा हो, स्त्रियों की गलबहियाँ से कुरबक हँस कर खिल गया हो, चंपा फूल गया हो स्त्रियों की हँसी से चहककर, गुनगुना रही हों स्त्रियाँ और विकसित हो गया हो नमेरु, छूने भर से विकसित हुआ हो प्रियंगु और कुछ कहने भर से स्त्रियों के फूल गया हो मंदार आदि-आदि ।