अहंवाद वाक्य
उच्चारण: [ ahenvaad ]
उदाहरण वाक्य
- ये बात अलग है कि कुछ मानववादियों जैसे सार्त्र… नित्शे…शिलर… आदि ने मानव को हि एकमात्र सबकुछ माना पर यहाँ भी अहंवाद का जन्म हो गया और तत्वमीमांसा के कई प्रश्न अधुरे रह गये…।
- ज्यादा पढ़ना व्यक्ति को विचार संपन्न बनाता है … अज्ञान को ज्ञान से जोड़ता है लेकिन साथ में अहंवाद को भी प्रश्रय देता है जब हम स्वयं को विद्वान समझने की भूल करने लग जाते हैं।
- अपने मस्तिष् क को सभी प्रकार के विच् छेदक अहंवाद से मुक् त रखो और उसे विनेयता की ऐसी अवस् था में ले जाओ जो वैरागी-तपस् वी की शुद्धता के अतिरिक् त और कुछ नहीं है।
- भाई यह तो दो-धारी तलवार है…ज्यादा पढ़ना व्यक्ति को विचार संपन्न बनाता है…अज्ञान को ज्ञान से जोड़ता है लेकिन साथ में अहंवाद को भी प्रश्रय देता है जब हम स्वयं को विद्वान समझने की भूल करने लग जाते हैं।
- हमारा सामाजिक जीवन अहंवाद का खंडन है, परंतु प्रश्न तो सामाजिक जीवन के संबंध में ही है-क्या यह जीवन विश्वास मात्र ही तो नहीं? अहंवाद के विरुद्ध कोई ऐसा प्रमाण नहीं जिसे अखंडनीय कह सकें।
- हमारा सामाजिक जीवन अहंवाद का खंडन है, परंतु प्रश्न तो सामाजिक जीवन के संबंध में ही है-क्या यह जीवन विश्वास मात्र ही तो नहीं? अहंवाद के विरुद्ध कोई ऐसा प्रमाण नहीं जिसे अखंडनीय कह सकें।
- साहित्यकार के सामने आजकल जो आदर्ष रखा गया है, उसके अनुसार ये सभी विद्याएं उसके विषेष अंग बन गई हैं और साहित्य की प्रवृत्ति अहंवाद या व्यक्तिवाद तक परिमित नहीं रही, बल्कि वह मनोवैज्ञानिक और सामाजिक होती जाती है।
- ) अतः हमारे पंथ में अहंवाद अथवा अपने व्यक्तिगत दृष्टिकोण को प्रधानता देना वह वस्तु है, जो हमें जड़ता, पतन और लापरवाही की ओर ले जाती है और ऐसी कला हमारे लिए न व्यक्तिरूप में उपयोगी है और न समुदाय-रूप में।
- यह पोस्ट लिखने की मज़बूरी आप समझते हैं, न? आप तो साढ़े चार वर्षीय ब्लागर ठहरे, नहीं? सो अहंवाद, महंतवाद या मठाधीशी वगैरह से एक आम ब्लागर को कितनी तक़लीफ़ होती है, अब आपसे बेहतर कौन समझता है?
- सामाजिक मूल्यों में क्षरण का रचनाकर्म पर असर ' 47 के बाद के कुछ वर्षों का समय हिंदी साहित्य के इतिहास का एक ऐसा बिंदु है, जहां से साहित्य के क्षेत्र में व्यक्तिवाद, अहंवाद, अनास्थावाद, सुविधावाद, समझौतावाद, अवसरवाद आदि प्रवृतियां तीव्र गति पकड़ती हैं।