आँधी तूफान वाक्य
उच्चारण: [ aanedhi tufaan ]
उदाहरण वाक्य
- कर्करेखा एवं विषुवत् रेखा के मध्य के क्षेत्रों में गर्मियों की ऋतु में दिन में दोपहर बाद तक भारी गर्मी और चौथे प्रहर तेज आँधी तूफान और उसके बाद भारी वर्षा तथा ओले गिरने की घटनाएँ आए दिन होने लगी हैं।
- भावनाओं की कद्र और सामने वाले की खुशी में अपनी खुशी ढूढ़ना अगर एक दुसरे की तरफ झुकाव रखेंगे तो मिलकर मन्दिर नुमा चोटी बनेगी और उपर से आने वाले आँधी तूफान बरिश से अन्दर का महोल प्रभावित नहीं होगा..
- बदल गया उस काठ के गाँठों भरे, खुरदुरे, रुखड़े, फटे फट्टों से भरे दरवाज़े में,जो खड़ा है किसी पुराने बरगद की तरह, ठीक घर से बाहर, कोई सरपरस्त! उसकी मोटी साँकल लगाकर अंदर किसी आँधी तूफान के गुज़र जाने का सुरक्षित इंतज़ार किया जा सकता था ।
- ना लोगो की बातों से मन अपना दुखा तू, इक पत्थर बन कर रह जाएगी, तेज़ बहुत है वक्त का दरिया, तू भी इस में बह जाएगी, कोई आँधी तूफान भी अगर चलते हैं, तू अपनी आहों को दोष देती है, कोई देखे ना देखे तेरी इन नम आँखों को, तू अपने आँसुओं में खुद ही
- ऐ भोली लड़की! ना लोगो की बातों से मन अपना दुखा तू, इक पत्थर बन कर रह जाएगी, तेज़ बहुत है वक्त का दरिया, तू भी इस में बह जाएगी, कोई आँधी तूफान भी अगर चलते हैं, तू अपनी आहों को दोष देती है, कोई देखे ना देखे तेरी इन नम आँखों को, तू अपने आँसुओं में खुद ही...
- वह दुखी है, बहुत ज्यादा दुखी है महेन्द्र के दुख से और कहीं न कहीं अपनी नादानी को भी इसका जिम्मेदार मानती होगी और जब दर्शक और महेन्द्र दोनों को लगता है कि शायद अब फिल्म में महेन्द्र और सुधा के उलझन भरे जीवन में एक सुखद पड़ाव आ गया है और नयी शुरुआत हो सकती है उसी समय आँधी तूफान की तरह एक ऐसे आकर्षक, खुशमिजाज़ शख्स का प्रवेश वेटिंग रुम में होता है जिसका आगमन महेन्द्र के पैरों तले से जमीन खिसका देता है।
- वह दुखी है, बहुत ज्यादा दुखी है महेन्द्र के दुख से और कहीं न कहीं अपनी नादानी को भी इसका जिम्मेदार मानती होगी और जब दर्शक और महेन्द्र दोनों को लगता है कि शायद अब फिल्म में महेन्द्र और सुधा के उलझन भरे जीवन में एक सुखद पड़ाव आ गया है और नयी शुरुआत हो सकती है उसी समय आँधी तूफान की तरह एक ऐसे आकर्षक, खुशमिजाज़ शख्स का प्रवेश वेटिंग रुम में होता है जिसका आगमन महेन्द्र के पैरों तले से जमीन खिसका देता है।
- वह दुखी है, बहुत ज्यादा दुखी है महेन्द्र के दुख से और कहीं न कहीं अपनी नादानी को भी इसका जिम्मेदार मानती होगी और जब दर्शक और महेन्द्र दोनों को लगता है कि शायद अब फिल्म में महेन्द्र और सुधा के उलझन भरे जीवन में एक सुखद पड़ाव आ गया है और नयी शुरुआत हो सकती है उसी समय आँधी तूफान की तरह एक ऐसे आकर्षक, खुशमिजाज़ शख्स का प्रवेश वेटिंग रुम में होता है जिसका आगमन महेन्द्र के पैरों तले से जमीन खिसका देता है।