आदिपुराण वाक्य
उच्चारण: [ aadipuraan ]
उदाहरण वाक्य
- इनमें रविषेण का पद्मपुराण, जिनसेन का महापुराण (आदिपुराण), गुणभद्र का उत्तर पुराण और पुन्नाट संघीय जिनसेन का हरिंवशपुराण विश्रुत और सर्वश्रेष्ठ पुराण माने जाते हैं, क्योंकि इनमें पुराण का पूर्ण लक्षण घटित होता है।
- फिर भी कवित्व, गमकत्व, वादित्व और वाग्मित्व नामक चार गुण आप में असाधारण कोटि की योग्यता वाले थे जैसा कि आज से ग्यारह सौ वर्ष पहिले के विद्वान् जिनसेनाचार्य ने निम्न वाक्य से आदिपुराण में स्मरण किया है-
- श्री जिनसेनाचार्य द्वारा रचित आदिपुराण ग्रन्थ के अनुसार प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने युग की आदि में यहाँ एक वर्ष के उपवास के पश्चात् राजा श्रेयांस के द्वारा जैन विधि से नवधा भक्ति पूर्वक पड़गाहन करने के बाद इक्षु रस का आहार ग्रहण किया था।
- सम्पूर्ण आदिपुराण के 47 पर्वों में से 42 पर्व पूर्ण तथा 43 वें पर्व के तीन श्लोक तक आठवीं-नवीं शती के भगवज्जिनसेनाचार्य द्वारा रचित हैं और इसके अवशिष्ट पाँच पर्व तथा उत्तरपुराण की रचना जिनसेनाचार्य के बाद उनके प्रमुख शिष्य गुणभद्राचार्य के द्वारा की गई।
- जिनसेन के आदिपुराण और हेमचन्द्र के आदिश्वरचरित के अनुसार आदिनाथ ऋषभ ने क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र को क्रमशः अपनी बाँहों, जाँघों और पैरों से पैदा किया और जैन नीति-वचनों के अनुसार, उनके पुत्र और उत्तराधिकारी भरत ने धार्मिक कार्य सम्पन्न करने के लिए ब्राह्मणों का निर्माण किया।
- स्व. डॉ. हीरालाल जैन का मत था कि 'हरिवंशपुराण के कर्ता जिनसेन तथा आदिपुराण के कर्ता जिनसेन की तरह कवि स्वयंभू भी दक्षिण प्रदेश के निवासी रहे होंगे क्योंकि उन्होंने अपने काव्यों में धनंजय, धवलइया और वन्दइया आदि जिन आश्रयदाताओं का उल्लेख किया है वे नाम से दक्षिणात्य प्रतीत होते हैं।'