आसाढ़ वाक्य
उच्चारण: [ aasaadh ]
उदाहरण वाक्य
- आसाढ़ गया, सावन भी गया, भादों भी सूखा निकला ज़ा रहा था, भगवान ने ज्ञानियों की लाज रख ली, जन्माष्टमी के दिन से ही बारिश शुरु हो गई।
- काहे ले जा रहे हो इस ठठरी को हड्डी का ढाचा ही टू बचा है, बस बोल नही रहा है, चल-फ़िर nahi raha hai पिछले आसाढ़ में मकई बोया था.
- जेठ कब का बीता चूका, आसाढ़ के इन दिनों में जबकी आसमान में घन घन मेघा होना चाहिए था और मोटी मोटी धार बरसानी चाहिए थी, आसमान आग के गोले बरसा रहा है.
- आसाढ़ मास शुक्ल पक्ष्य द्वितीया के दिन भगवान् जगन्नाथ भाई बलभद्र और बेहेन सुभद्रा के साथ श्रीमंदिर से निकल कर भक्तो को दर्शन देने के लिए अपने नौ दिन के रथयात्रा में अपनी मौसी के घर मौसि के मंदिर चले गए हैं.
- जेठ कब का बीता चूका, आसाढ़ के इन दिनों में जबकी आसमान में घन घन मेघा होना चाहिए था और मोटी मोटी धार बरसानी चाहिए थी,आसमान आग के गोले बरसा रहा है.धुप की तीखी मार ऐसी है की छाया भी छाया खोजती फिर रही है.
- लगातार बाढ़ और इस साल आसाढ़, सावन और भादो में सुखाड़-त्रासदी से यह इलाका उबर नहीं पा रहा है.कल परसों से अचानक फल्गु,पुनपुन और इन दोनों की सहायक नदियाँ और शाखाएं पुरे उफान पर है.नदियों का पानी इन के डूब क्षेत्र में फैलने लगा है.
- पहले राजा द्वारा नौ अखाड़ों का संचालन होता था, गांव-जवार के मुखिया आदि छउ नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन करवाते थे लेकिन धीरे-धीरे सब पर ग्रहण लगा और छउ को लेकर सबसे बड़ा सालाना आयोजन चैत्र महोत्सव रह गया है, जो चैत माह से आसाढ़ तक चलता है.
- तुम्हें देखा तो वह लड़की याद आई जो फूलोंवाली फ्रॉक पहन बसंत का संदेशा देती थी आम्र मंजरों में कोयल की कूक बन मुखरित होती थी जेठ की दोपहरी में आसाढ़ के गीत गुनगुनाती रिमझिम बारिश में कलकल नदी की रुनझुन धार-सी किसानों के घर की सोंधी खुशबू में ढल जाती थी शरद चांदनी बन धरती पर उतरती थी............
- उसकी उमंग, प्रेम और प्रसन्नता उस पंख कटे पक्षी की जैसी हो जाती है, जो उन पंखों के सिले दिए जाने के बाद भी जो उड़ नहीं पाता॥) ~ जयंत चौधरी १३ आसाढ़ / ४ जुलाई (माँ सरस्वती की प्रेरणा से, मेरे मित्रों अर्चना और मनीष को एक भेंट..) * सीने में जब आग जलेगी * सीने में जब आग जलेगी, फौलाद तभी पिघलेगा...
- हम इसे कुछ इस तरह से समझ सकते हैं-मार्च-अप्रैल-चैत्र (चैत) अप्रैल-मई-वैशाख (वैसाख) मई-जून-ज्येष्ठ (जेठ) जून-जुलाई-आषाढ़ (आसाढ़) जुलाई-अगस्त-श्रावण (सावन) अगस्त-सितम्बर-भाद्रपद (भादो) सितम्बर-अक्टूबर-अश्विन (क्वार) अक्टूबर-नवम्बर-कार्तिक (कातिक) नवम्बर-दिसम्बर-मार्गशीर्ष (अगहन) दिसम्बर-जनवरी-पौष (पूस) जनवरी-फरवरी-माघ (माह) फरवरी-मार्च-फाल्गुन (फागुन) नववर्ष ज़रूर मनाऐं परन्तु इस बार 22 मार्च को हर्षोल्लास के सा थ...