इमरती देवी वाक्य
उच्चारण: [ imerti devi ]
उदाहरण वाक्य
- कहा जा रहा है कि इंका नेता रंगनाथ तिवारी, विधायक इमरती देवी सुमन, मोहन सिंह राठौर, घनश्याम भार्गव, राजेन्द्र बेरिया, हरविन्दर संधू आदि के समझाने बुझाने ने वे फिर कांग्रेस में लौट आए।
- बेतुल जिले में इमरती देवी के साथ हुई इस नाइन्साफी की घटना बरबस तीन साल पहले उसी जिले के दुलरिया गांव की उर्मिला की याद दिलाती है, जिसने भी जीते जी अपने अत्याचारियों की जबरदस्त मुखालिफत की थी।
- इस कहानी का ताना-बाना मधुर तानाशाही सास-इमरती देवी, उसकी बहू-अम्बी के संघर्ष, और उसके बेटे अनुज की जिंदगियों के चारों ओर घूमता है जो बेटे / पति की दुविधा के बीचोंबीच एक उदासीन जिंदगी जी रहा है।
- आदिवासियों पर अत्याचार के मामलों में सूबा मध्यप्रदेश के फिर एक बार सूर्खियों पर होने की प्रस्तुत ख़बर अख़बारों में प्रकाशित हुई ही थी, कि गोया इस बात को प्रमाणित करते हुए बेतुल से आदिवासी तबके की इमरती देवी की असामयिक मौत की ख़बर आयी।
- इस पर इमरती देवी ने कहा कि जब मिल बंद हो गई और उसकी जमीन पर दुकान-मकान बनने लगे तब पुनर्विचार याचिका लगाने से क्या फायदा? राधेलाल बघेल ने भी उनकी बात का समर्थन करते हुए कहा कि लीज शर्तों का उल्लंघन हो रहा है।
- क्या अम्बी घर की बाकी दोनों बहुओं की तरह इमरती की ” तानाशाही “ से हार मान जाएगी या जब इमरती देवी को अम्बी में अपनी बराबरी की टक्कर मिलेगी तो क्या उसे उसके सिंहासन से उतार दिया जाएगा? आखिर 100 दिन सास के तो एक दिन बहू का भी हो सकता है क्या?
- कभी चाय को लेकर या कभी बहू की साड़ी को देखकर … इमरती देवी की तेज़-तर्रार जुबान रुकती नहीं … यह तो उनके कुछ तानों का ट्रेलर है … आइये मिलिये 21 वीं सदी की-सासों की सास से, ‘ इमरती देवी ' से जल्द कलर्स के नए शो कैरी-रिश्ता खट्टा मीठा में।
- कभी चाय को लेकर या कभी बहू की साड़ी को देखकर … इमरती देवी की तेज़-तर्रार जुबान रुकती नहीं … यह तो उनके कुछ तानों का ट्रेलर है … आइये मिलिये 21 वीं सदी की-सासों की सास से, ‘ इमरती देवी ' से जल्द कलर्स के नए शो कैरी-रिश्ता खट्टा मीठा में।
- इस तरह पूरा तंत्र जिसमें मीडिया तक शामिल हैं किसान की भूख से हुई मौत की सच्ची व दर्दनाक घटना को गलत साबित कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर देता है और सुखिया की पत्नी इमरती देवी और उसके बच्चों को ऐसी हालत में छोड़ जाता है जहाँ उनके पास अपनी आत्महत्या के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचता।
- संवत 1787) को अलवर के पास ग्राम खेजड़ली में हरे पेड़ों की रक्षा के करते हुए इमरती देवी के नेतृत्व में 363 स्त्री-पुरुषों और बच्चों द्वारा 27 दिन तक लगातार चलाये गये बलिदान पर्व को क्या कहेंगे? 28 वें दिन राजा को स्वयं वहां आकर इन पर्यावरण प्रेमियों के सम्मुख अपनी भूल स्वीकार कर क्षमा मांगनी पड़ी।