उपांशु वाक्य
उच्चारण: [ upaaneshu ]
"उपांशु" अंग्रेज़ी में
उदाहरण वाक्य
- मंत्र के जप को उच्चारण के अनुसार वाचिक, उपांशु और मानस की तीन श्रेणियों में बांटा गया है।
- उपांशु जप से कर्णातीत ध्वनि उत्पन्न होती है और उसका प्रभाव रोग शोक को दूर करने वाला साबित होता है।
- जो मन्द स्वर से एक के बाद एक पद को पढते जाते है वह उपांशु की श्रेणी में माना जाता है।
- उपांशु जप योग का वह प्रकार है जिसमें जप करने वाले के होंठ और जुबान तो हिलते हैं, लेकिन आवाज नहीं होती।
- उपांशु जप का अर्थ जिसमें जप करने वाले की जीभ या ओष्ठ हिलते हुए दिखाई देते हैं लेकिन आवाज नहीं सुनाई देती।
- उपांशु में वाक् का वह स्वरूप होता है जिसमें शब्द, भाषा, विचार, पढ़ना, सुनना आदि सम्मिलित होता है।
- यानि कि जप यदि अस्फुट स्वर में उपांशु ढंग से मानसिक एकाग्रता के साथ किया जाय, तो असर ज्यादा गहरा होता है।
- उपांशु का अर्थ मंद स्वर से मुँह के अंदर ही किया जाने वाला जप और मानस अर्थात मन ही मन किए जाने वाला जप।
- इसी को विपरीत क्रम में देखें तो वाचिक, उपांशु और मानस जप कण्ठ से वक्षस्थल और वक्षस्थल से नाभि की ओर जाते प्रतीत होते हैं।
- इस स्थिति में जैसे ही हमारा मन मंत्र के सार को समझने लगता है, हम जप की द्वितीय स्थिति अर्थात् उपांशु में पहुंच जाते हैं।